विनोद कुमार कई वर्षों से लकवे के कारण चलने-फिरने और बोलने में असमर्थ थे। वह चारपाई पर ही पड़े रहते थे। विनोद की तीन बेटियां हैं, जिनमें बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। मंझली बेटी नेहा की तबीयत खराब होने के कारण पत्नी रीतू देवी उसे इलाज के लिए चार दिन पहले बरेली ले गई थीं। घर पर केवल विनोद और सबसे छोटी बेटी पायल ही मौजूद थे।
मंगलवार दिन में साड़ी के सहारे कुंडे से लटकी युवती
मंगलवार को दिन में पायल ने घर के बरामदे में साड़ी के सहारे कुंडे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जब यह घटना हुई, उस समय विनोद कुमार बरामदे में चारपाई पर लेटे थे और बेबस होकर सब कुछ देखते रहे। चलने और बोलने में असमर्थ होने के कारण वह बेटी को बचा नहीं सके। शाम को पायल का अंतिम संस्कार गांव में ही कर दिया गया।
बेटी की मौत का गम बर्दाश्त नहीं कर सका पिता
इसी गम और सदमे में रात को विनोद कुमार ने भी दम तोड़ दिया। बुधवार सुबह जब ग्रामीणों को जानकारी मिली तो भारी संख्या में लोग उनके घर पहुंचे और परिजनों को सांत्वना दी। परिवार की स्थिति देखकर हर आंख नम हो गई। गांव में इस घटना को लेकर शोक की लहर है। पत्नी रीतू देवी और बेटियों का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीण प्रशासन से आर्थिक सहायता की मांग कर रहे हैं।