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बरेली

मौलाना शहाबुद्दीन : “मुसलमान भी करें योग, इसे धार्मिक चश्मे से न देखा जाए” “योग न किसी धर्म का हिस्सा है, न विरोधी—यह शरीर और आत्मा की साधना है”

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) से पहले बरेली से एक बड़ा और सकारात्मक संदेश सामने आया है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुस्लिम समाज से योग अपनाने की अपील की है।

बरेलीJun 20, 2025 / 12:37 pm

Avanish Pandey

मौलाना शहाबुद्दीन : “मुसलमान भी करें योग, इसे धार्मिक चश्मे से न देखा जाए” (फोटो सोर्स: पत्रिका)

बरेली। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) से पहले बरेली से एक बड़ा और सकारात्मक संदेश सामने आया है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुस्लिम समाज से योग अपनाने की अपील की है। उन्होंने दो टूक कहा कि “योग को धर्म से जोड़ना एक भ्रांति है, इसे स्वास्थ्य के नजरिए से देखा जाना चाहिए।”

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“योग को धार्मिक विवाद न बनाएं” – मौलाना का संदेश

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि कुछ लोग योग को सनातन धर्म या हिंदू परंपरा से जोड़कर मुस्लिम समाज में भ्रम फैला रहे हैं, जबकि योग भारत की संस्कृति, तंदुरुस्ती और सूफी परंपरा का हिस्सा रहा है। उन्होंने कहा कि “योग किसी एक धर्म की निशानी नहीं है। इसे शुद्ध रूप से एक स्वास्थ्यवर्धक अभ्यास के रूप में अपनाया जाना चाहिए।”

महिलाओं को विशेष रूप से योग करने की सलाह

मौलाना रजवी ने कहा कि आज के दौर में महिलाएं अक्सर घरेलू जिम्मेदारियों में इतनी व्यस्त होती हैं कि वे अपनी सेहत की अनदेखी कर देती हैं। उन्होंने कहा, “हर महिला को रोज कम से कम 20 मिनट योग जरूर करना चाहिए। यह मानसिक तनाव और शारीरिक थकावट को दूर करता है।”

“नमाज के बाद योग करें, पार्क जाने की जरूरत नहीं”

मौलाना ने मुसलमानों से अपील की कि “सुबह की नमाज के बाद घर में ही योग करें।” उन्होंने कहा कि इसके लिए पार्क या सेंटर जाने की जरूरत नहीं, यह वर्जिश (एक्सरसाइज) की ही तरह है जो शरीर को ऊर्जावान और स्वस्थ रखता है।

मदरसों में हो योग की ट्रेनिंग, शिक्षकों को मिले प्रशिक्षण

रजवी ने कहा कि देशभर के मदरसों में योग प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि पहले मदरसा शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाए और फिर बच्चों को नियमित योग सिखाया जाए।
“योग को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाकर छात्रों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लानी जरूरी है,” उन्होंने कहा।

“योग न सनातन धर्म का हिस्सा, न इस्लाम का”

मौलाना रजवी ने साफ शब्दों में कहा –
“जो लोग योग पर धर्म का टैग लगाते हैं, वे समाज को गुमराह कर रहे हैं। योग एक शरीरिक और मानसिक व्यायाम है, जिसे हर व्यक्ति को अपनाना चाहिए, चाहे वह किसी भी मजहब से हो।”

एकता और स्वास्थ्य की ओर कदम

मौलाना के इस बयान को धार्मिक सौहार्द और सामाजिक एकता की दिशा में महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। यह संदेश न सिर्फ धार्मिक कट्टरता के खिलाफ है, बल्कि आधुनिक स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने वाला भी है।

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