जिलाधिकारी ने कहा कि लीलौर झील महाभारत काल के पांडव और यक्ष संवाद की साक्षी है। इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को देखते हुए इसे पर्यटन मानचित्र पर प्रमुखता से स्थापित किया जा सकता है। झील में प्रवासी पक्षियों की भरमार और प्राकृतिक सुंदरता इसे और भी आकर्षक बनाती है।
मनरेगा से होंगे विकास कार्य
बैठक में जिलाधिकारी ने उप जिलाधिकारी आंवला को निर्देश दिए कि झील के जीर्णोद्धार से जुड़े कार्यों का एस्टीमेट तत्काल तैयार कराया जाए। जहां सड़कों और इंटरलॉकिंग में टूट-फूट है, वहां मरम्मत कार्य प्राथमिकता पर हो। झील के किनारे साफ-सफाई सुनिश्चित की जाए और गंदे पानी के प्रवाह को रोकने के लिए नालों की सफाई कराई जाए। ग्राम प्रधानों को निर्देशित किया गया कि वे गांव के लोगों को लीलौर झील की स्वच्छता को लेकर जागरूक करें। यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी गंदा पानी या कचरा झील में न जाए।
हरियाली और जल सुविधा पर जोर
विद्युत विभाग को झील क्षेत्र में ट्यूबवेल लगाने के लिए उपयुक्त स्थान चिन्हित कर कार्य प्रारंभ करने को कहा गया। वहीं, वन विभाग को झील के चारों ओर पौधारोपण कर हरियाली बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि झील का प्राकृतिक सौंदर्य और अधिक निखरे।
गुणवत्ता से नहीं होगा समझौता
जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने स्पष्ट कहा कि झील के विकास कार्यों में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह मुख्यमंत्री की प्राथमिकता है कि झीलों और नदियों को पुनर्जीवित कर पर्यावरण, आस्था और पर्यटन का समन्वय स्थापित किया जाए। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी देवयानी, अपर जिलाधिकारी प्रशासन पूर्णिमा सिंह, उप जिलाधिकारी आंवला नहने राम सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।