इसके बावजूद सैकड़ों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने अब तक यह कार्य पूरा नहीं किया। नतीजतन जिला कार्यक्रम अधिकारी (DPO) मनोज कुमार ने कड़ा रुख अपनाते हुए 140 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय रोक दिया, जबकि 225 अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
30 जून तक हर हाल में पूरा करना होगा कार्य
डीपीओ मनोज कुमार ने बताया कि शासन के निर्देश पर पोषण ट्रैकर मोबाइल एप के माध्यम से लाभार्थियों की ई-केवाईसी और फेस कैप्चरिंग की प्रक्रिया पूरी कराई जा रही है। यह काम 30 जून तक हर हाल में पूर्ण करना आवश्यक है। सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है और कई बार निर्देश भी जारी किए गए, इसके बावजूद कार्य में अपेक्षित तेजी नहीं दिखी।
2.29 लाख लाभार्थियों को मिलना है लाभ
जिले में कुल 2857 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनके माध्यम से 2.29 लाख गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं और बच्चों को पोषाहार का वितरण होता है। अभी तक यह वितरण सिर्फ पंजीकृत नामों के आधार पर होता था, जिससे गड़बड़ियों की शिकायतें आती थीं। अब आधार आधारित बायोमेट्रिक सिस्टम से ही सत्यापन होगा, ताकि योजना में पारदर्शिता लाई जा सके।
डीपीओ ने सभी सीडीपीओ को दिए निर्देश
डीपीओ ने सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों (सीडीपीओ) को निर्देशित किया है कि वे प्रतिदिन की प्रगति की रिपोर्ट लें। उन्होंने स्पष्ट किया कि लक्ष्य समय पर पूरा न होने पर संबंधित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ-साथ मुख्य सेविका और सीडीपीओ भी जिम्मेदार माने जाएंगे।
मोबाइल नंबर लिंक न होने पर अटक सकता है पंजीकरण
मनोज कुमार ने बताया कि जिन लाभार्थियों का मोबाइल नंबर आधार कार्ड से लिंक नहीं है, उनका ई-केवाईसी नहीं हो पाएगा। ऐसे लाभार्थियों को जल्द से जल्द नजदीकी आधार केंद्र पर जाकर लिंकिंग कराने के लिए कहा गया है, क्योंकि ओटीपी न मिलने पर पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाएगी।
सीडीओ देवयानी सिंह ने दी चेतावनी
मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) देवयानी सिंह ने कहा कि “ई-केवाईसी और फेस कैप्चरिंग की अंतिम तिथि 30 जून निर्धारित है। इसके बाद लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिन कार्यकर्ताओं की प्रगति शून्य पर अटकी है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अगर फिर भी काम पूरा नहीं हुआ तो उनकी नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है।”