बुधवार को कछला में गंगा का जलस्तर 162.51 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान 162.44 से 7 सेंटीमीटर ऊपर है। दातागंज तहसील के कमलईयापुर, कदम नगला, दलपतनगला, रैपुरा, जसवंत नगला, प्रेमी नगला, जटा और ठकुरी नगला गांवों में करीब 10 हजार लोग प्रभावित हैं।
घरों में पानी घुसने से हुआ काफी नुकसान
रैपुरा निवासी गणेश कुमार ने बताया कि घर में पानी घुसने से गेहूं, भूसा, कपड़े सहित सारा सामान खराब हो गया। अब पूरा परिवार छत पर दिन-रात काट रहा है। जसवंत नगला के सुधाकर ने बताया कि मोटरसाइकिल, बिस्तर और घरेलू सामान पानी में डूब गए हैं। गांवों में पानी भरने की सूचना के बाद विधायक राजीव कुमार सिंह ने उसहैत के जाटी और जटा गांवों का दौरा कर हालात का जायजा लिया और एसडीएम को तत्काल राहत सामग्री पहुंचाने के निर्देश दिए।
दो दिन बाद पहुंची राहत सामग्री
रैपुरा के प्रधान राकेश कश्यप ने बताया कि गांव में दो दिन से पानी भरा है, आवाजाही ठप है। जानवरों को ऊंचे स्थानों पर बांधकर भूसा खिलाया जा रहा है। बुधवार को प्रशासन ने पहली बार स्टीमर से राहत सामग्री वितरित की। बलवीर, श्रीराम, राजेश समेत कई किसानों ने बताया कि खेतों में लगी हरी सब्जी की फसल पूरी तरह जलमग्न हो गई है, जिससे भारी नुकसान हुआ है।
सहसवान के चार गांव भी जलमग्न
सहसवान तहसील के खागी नगला, वीरसहाय नगला, भमरौलिया और तौफिया नगला गांवों में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। यहां करीब 4,000 की आबादी प्रभावित हुई है। कई घरों में पानी दो से चार फीट तक पहुंच गया है। ग्रामीण सिर पर कपड़े और राशन की गठरी लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर जाते देखे गए। तौफिया नगला में चंद्रपाल, ऋषिपाल, दाताराम, राम सिंह जैसे ग्रामीणों के घरों में पानी घुस चुका है, लेकिन अभी उन्होंने घर खाली नहीं किए हैं।
एसडीएम ने की सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील
सहसवान के एसडीएम प्रेमपाल सिंह ने प्रभावित गांवों का निरीक्षण किया और ग्रामीणों से अपील की कि वे स्थिति बिगड़ने से पहले ही सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। उन्होंने बताया कि सिठौलिया पुख्ता, कमनपुर बेला, जरीफपुर गढ़िया और औरंगाबाद टप्पा जामनी में राहत शिविर बनाए गए हैं। क्षेत्रीय प्रशासन को अलर्ट मोड पर रखते हुए बाढ़ राहत कार्यों की निगरानी शुरू कर दी गई है। यदि आप चाहें तो इस खबर को पोस्टर या समाचार पत्र की क्लिपिंग के रूप में भी तैयार किया जा सकता है।