कर्मचारियों ने तय किया कि सबसे पहले 8 जुलाई को सभी विभागों में प्रदर्शन कर अपनी ताकत दिखाएंगे। इसके बाद 9 जुलाई को विकास भवन के पास बैंक ऑफ बड़ौदा के बाहर धरना देंगे और जनसभा करेंगे। कर्मचारियों ने साफ कर दिया है कि जब तक मांगे पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।
ठेका प्रथा बंद और वेतन बढ़ाने की मांग
बैठक में कर्मचारी नेताओं ने सरकार की संविदा और ठेका प्रथा की नीतियों पर कड़ा विरोध जताया। उनका कहना था कि ठेके पर रखे जा रहे कर्मचारियों का शोषण हो रहा है और नियमित कर्मचारियों की संख्या लगातार घट रही है। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये तय करना, संविदा-ठेका प्रथा को खत्म करना, महंगाई और बेरोजगारी पर काबू पाने के लिए ठोस कदम उठाना और सरकारी उपक्रमों जैसे बैंक, बीमा और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण पर रोक लगाना शामिल है।
बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक को संजीव मेहरोत्रा, मोहम्मद फैसल, जितेंद्र मिश्रा, राजेंद्र सिंह, महक सिंह, राम सिंह पटेल, राजन सैनी, प्रभाकर सैनी और ठाकुर मिशन पाल सिंह जैसे प्रमुख कर्मचारी नेताओं ने संबोधित किया। नेताओं ने चेताया कि अगर सरकार ने समय रहते मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो हड़ताल को राज्यव्यापी आंदोलन में बदलने से भी पीछे नहीं हटेंगे।