इस तानाशाही और मनमानी रवैये के खिलाफ रविवार को सिविल सोसाइटी बरेली ने जोरदार प्रदर्शन किया और प्रशासन से मांग की कि गेट का ताला तुरंत खोला जाए।
जनता के टैक्स से बना पार्क, पर जनता ही बाहर!
सिविल सोसाइटी के संयोजक राज नारायण ने बताया कि अक्षर विहार बुद्धा पार्क और उसमें स्थित वॉटर बॉडी इस क्षेत्र का इकलौता पिकनिक स्पॉट है। लगभग पांच साल पहले करोड़ों रुपये खर्च कर इसका सौंदर्यीकरण किया गया था, लेकिन पहले ही एक बड़ा हिस्सा रेस्टोरेंट के संचालन के लिए एक व्यवसायी को सौंप दिया गया। अब हालात यह हैं कि मेन गेट पर ताला डालकर आम जनता को ही बाहर कर दिया गया है।
रेस्टोरेंट संचालक ने कहा– पूरा पार्क लीज पर लिया है
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बताया कि जब उन्होंने रेस्टोरेंट के मैनेजर से गेट खोलने को कहा तो उसने जवाब दिया कि पूरा पार्क ही लीज पर लिया गया है। लेकिन जब यही बात ऑन रिकॉर्ड कहने को कहा गया तो वह पलट गया। पार्क के पिछले गेट से घुसने वाले कुछ नागरिकों ने भी इस स्थिति पर नाराजगी जताई और कहा कि यह आम जनता के अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।
पीपीपी मोड के नाम पर तानाशाही नहीं सहेंगे: सिविल सोसाइटी
राज नारायण ने कहा कि यह पार्क जनता के लिए बना है, न कि निजी व्यवसाय के लिए। पीपीपी मोड (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के नाम पर जनता को अधिकार से वंचित करना तानाशाही है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही पार्क का गेट नहीं खोला गया तो सोमवार को जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर बंद गेट के सामने धरना भी दिया जाएगा।
प्रदर्शन में ये लोग रहे शामिल
प्रदर्शन में केंद्रीय विद्यालय से सेवानिवृत्त शिक्षक रविंद्र वापजेयी, डॉ. सुचित्रा डे, डॉ. प्रवेश कुमारी, सुरभि पाठक, निशा गोयल, वैष्णवी, करिश्मा, अजय सक्सेना एडवोकेट, आरोही, आयुषी, जितेंद्र पाल समेत बड़ी संख्या में सिविल सोसाइटी के सदस्य और स्थानीय नागरिक शामिल हुए।