उन्होंने बताया कि तीसरे लांच पैड के निर्माण में मुख्य रूप से चार पड़ाव हैं। मई 2028 तक सभी सिविल कार्य पूरे कर लिए जाएंगे। इसके बाद जुलाई 2028 तक द्रव प्रणालियों और संबंधित प्रणोदक भंडारण की स्थापना का लक्ष्य है। तीसरा पड़ाव लॉन्च पैड सुविधाओं की स्थापना है, जिसे सितंबर 2028 तक पूरा कर लिया जाएगा। अंतत: मार्च 2029 में यह लांच ऑपरेशनल हो जाएगा। फिलहाल सडक़ निर्माण और विद्युत कार्यों के लिए प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जा रहा है।
एनजीएलवी प्रक्षेपण के लिए जरूरी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि तीसरे लांच पैड से मुख्य रूप से अगली पीढ़ी के प्रक्षेपणयान एनजीएलवी का प्रक्षेपण होगा। यहां से अत्याधुनिक प्रक्षेपणयान एलवीएम-3 का भी प्रक्षेपण हो सकेगा। श्रीहरिकोटा में पहले लांच पैड का निर्माण पीएसएलवी के प्रक्षेपण के लिए किया गया। इस िलांच पैड से जीएसएलवी या एलवीएम-3 का प्रक्षेपण संभव नहीं है, क्योंकि यह नए प्रक्षेपणयानों में इस्तेमाल होने वाले क्रायोजेनिक अथवा सेमीक्रायोजेनिक इंजन के अनुकूल नहीं है। अगली पीढ़ी के प्रक्षेपणयान एनजीएलवी की प्रस्तावित ऊंचाई 91 मीटर है। यह ऊंचाई एलवीएम-3 की ऊंचाई से लगभग दो गुना से अधिक है। इसलिए एनजीएलवी के लिए एक बिल्कुल अलग लांच पैड की आवश्यकता है।
चार हजार करोड़ की लागत से होगा तैयार
इसरो ने कहा है कि निजी उद्योगों की सहायता से यह लांच पैड लगभग 3984.86 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया जाएगा। इसमें लांच पैड और संबंधित सुविधाओं की स्थापना शामिल है। पहला लांच पैड (एफएलपी) 30 साल पहले स्थापित किया गया था, वहीं दूसरा लांच पैड (एसएलपी) पिछले लगभग 20 वर्षों से ऑपरेशनल है।