हालांकि पुलिस कई साइबर ठगी के मामले को सुलझा चुकी है, लेकिन कई मामलों की जांच अभी भी चल रही है। जिला साइबर सेल प्रभारी धरम भुआर्य ने अपील भी की कि साइबर ठगी के नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।
CG Cyber Fraud: साइबर ठगों की तलाश में पुलिस
साइबर ठगी के पेडिंग मामलों पर अब पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू कर दी है। पुलिस जल्द साइबर क्राइम के कुछ मामलों में बड़ी कार्रवाई कर सकती है। पुलिस लगातार जागरुकता अभियान चलाकर लोगों को साइबर ठगी से बचाने प्रयास कर रही है। स्कूल कॉलेजों व गांवों में जाकर जागरूक कर रही है।
एपीके फाइल से इस तरह ठगी
साइबार सेल के मुताबिक अभी साइबर ठगी के नए मामले सामने आए हैं। ठग लोगों के मोबाइल को हैक कर एपीके फाइल वाट्सऐप पर भेज रहे हैं। इस फाइल को खोल कर डाउनलोड करने क्लिक करने पर सीधे बैंक खाते से राशि निकल रही है। जिले में इस तरह के दो मामले सामने आ चुके हैं। कई लोगों के वाट्सऐप पर यह फाइल भी भेजी गई थी। सतर्कता से खाते से राशि कटने से बच गई। लेकिन दो लोग ठगी के शिकार भी हो गए। इसमें एक डौंडीलोहारा का बीएसपी कर्मी है, जो बीते माह मोबाइल में आए एपीके फाइल खोलने के बाद वह 12 लाख रुपए के ठगी के शिकार हो गया। साइबर सेल प्रभारी धरम भुआर्य ने बताया कि
साइबर ठगी का जाल शहरों के साथ गांवों में भी पहुंच गया है। ठग सोशल मीडिया ऐप में शादी कार्ड के अलावा पीएम आवास योजना के नाम पर लिंक भेज रहे हैं। लिंक को देखकर कई लोग इंस्टॉल ओपन भी कर रहे हैं। इसके बाद मोबाइल हैंग व हैक हो रहा है। लोगों को ठगी से बचाने पुलिस विभाग की ओर से अलर्ट जारी किया गया है। वे अनजान लिंक को ओपन न करें और किसी को ओटीपी दें।
साइबर ठगी से बचने क्या करें
कॉलर की पहचान हमेशा
आधिकारिक बैंक चैनल से वेरिफाई करें। स्क्रीन शेयरिंग केवल भरोसेमंद लोगों के साथ और तभी करें जब बहुत जरूरी हो। मोबाइल और ऐप्स को हमेशा अपडेट रखें। वित्तीय और मैसेजिंग ऐप्स में टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन करें। परिवार, खासकर बुजुर्गों व महिलाओं को ऐसे फ्रॉड के बारे में जागरूक करें।
क्या न करें
अनजान नंबर या संदिग्ध कॉल का जवाब न दें। स्क्रीन शेयरिंग के दौरान कभी भी बैंकिंग या यूपीआई ऐप का इस्तेमाल न करें। दबाव में आकर ओटीपी, पासवर्ड या पिन न डालें।