UP News: नेपाल में पहाड़ों पर लगातार बारिश हो रही है। बारिश का पानी सरयू नदी में आने से नदी अपने पूरे उफान पर है। बीते शनिवार से ही नदी ने कटान करना शुरू कर दिया है। नदी कृषि योग्य भूमि को भी काट रही है। मंगलवार तक चार दिन के अंदर नदी ने 100 बीघे भूमि को काट कर नदी में समाहित कर लिया। वहीं, इस भीषण आपदा के बाद भी प्रशासन की ओर से अभी तक इन कटान पीड़ितों तक कोई भी सहायता नहीं पहुंचाई गई। ग्रामीणों का आरोप है कि लेखपाल आए थे। वह कहां गए कि कटान से हुए नुकसान की कोई सहायता राशि नहीं मिलेगी। वहीं नदी बीते शनिवार से ही इस गांव पर लगातार हमला कर रही है। लेकिन ग्रामीणों को अभी तक कोई सहायता राशि नहीं मिली है।
काटन में मिट्टी गिरने से आवाज सुनकर सहम जाते ग्रामीण
ग्रामीणों ने कठिन परिश्रम और कड़ी मेहनत से जिस मकान कई वर्षों में अपने हाथों से बनाया था। उसे सरयू नदी ने एक ही रात में काट कर अपने में समाहित कर लिया। अब उसके बचे अवशेष को कटान पीड़ित खोज रहे हैं। कुछ लोग बचे हुए हिस्से को खोदकर एकत्र कर रहे हैं। उन्हें यह उम्मीद है कि जब कभी प्रशासन उन्हें घर बनाने के लिए भूमि देगा। तो यह मलबा उनके काम आएगा। नदी दिन रात कटान कर रही है। मिट्टी का भारी-भारी चिप्पा नदी में गिर रहा है। उसके गिरने से आने वाले झम की आवाज से कटान पीड़ितों के दिल की धड़कनें बढ़ जाती है। कटान पीड़ितों ने बताया कि जब भी मिट्टी का कोई हिस्सा नदी में गिरता है। तो उनकी धान की फसल भी नदी में गिर जाती है।
ग्रामीणों की मांग उन्हें बसने के लिए कोई सुरक्षित स्थान दिया जाए
जानकीनगर गांव में वैसे तो 95 घर थे। लेकिन अब वहां मात्र 13 घर बचे हैं। वो भी आधे-अधूरे। यहां के लोग कटान स्थल से 100 मीटर पीछे हटकर अपनी नई झुग्गी बना रहे हैं। लेकिन कटान को देख कर लगता है कि इस वर्ष आने वाली बाढ़ के दौरान यह झुग्गी भी कटान की जद में आ सकती है। ग्रामीणों की मांग है कि उन्हें बसने के लिए कोई सुरक्षित स्थान दिया जाए। एसडीएम बोले जिनके मकान नदी में समा गया उन्हें मिलेगा मुआवजा
उप जिलाधिकारी महसी का कहना है कि तहसीलदार को मौके पर भेजा गया है। उन्हें कटान प्रभावितों की सूची बनाकर तत्काल सहायता देने को कहा गया है। जिसका मकान नदी में कट गया है। उन्हें उसका मुआवजा मिलेगा।