निबंधन विभाग ने इसके लिए पुराना सॉफ्टवेयर हटाकर नया और अधिक सुरक्षित सॉफ्टवेयर लागू किया है, जिसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। अब क्रेता और विक्रेता दोनों को रजिस्ट्री से पहले अपने आधार और पैन कार्ड की ऑनलाइन पुष्टि करानी होगी। साथ ही, उनके मोबाइल नंबर पर भेजे गए OTP को 30 सेकेंड के भीतर दर्ज करना अनिवार्य होगा। ऐसा न करने की स्थिति में दोबारा OTP लेना होगा।
अधिकारियों के अनुसार, पहले कई लोग ऑनलाइन आवेदन के दौरान जानबूझकर अधूरे या फर्जी मोबाइल नंबर, पैन और आधार नंबर दर्ज कर देते थे, जिससे खरीद-फरोख्त की वास्तविक जानकारी सरकार तक नहीं पहुंच पाती थी। अब नई व्यवस्था में यह संभव नहीं होगा। गलत जानकारी देने पर सॉफ्टवेयर आवेदन को आगे बढ़ने ही नहीं देगा।
नई व्यवस्था में हुए मुख्य बदलाव
रजिस्ट्री प्रक्रिया में शामिल सभी कर्मियों और उप निबंधकों का लॉगिन अब OTP आधारित होगा। लॉगिन OTP उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा। ऑनलाइन आवेदन के दौरान खरीदार और विक्रेता दोनों के मोबाइल नंबरों का OTP के माध्यम से सत्यापन अनिवार्य होगा। दोनों पक्षों के पैन नंबर और आधार नंबर का भी ऑनलाइन सत्यापन किया जाएगा। कृषि भूमि के मामलों में खसरा की यूनिक आईडी का सत्यापन भूलेख पोर्टल से किया जाएगा। अकृषि भूमि के मामलों में खसरा संख्या दर्ज कर, बैनामा विवरण सीधे तहसीलदार के लॉगिन पर भेजा जाएगा।
प्रतिबंधित संपत्ति की जानकारी संबंधित उप निबंधक द्वारा पोर्टल पर सार्वजनिक की जाएगी। निबंधन विभाग के एआईजी स्टांप राजेश कुमार ने बताया कि जिले के सभी निबंधन कार्यालयों में 25 जुलाई से यह नई व्यवस्था लागू कर दी गई है। अब OTP प्राप्त किए बिना रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकेगी। इस कदम से जालसाजी पर रोक लगेगी और संपत्ति लेनदेन की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनेगी।