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Ayodhya News: अयोध्या का 22 वर्षीय लाल लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी सिक्किम में साथी को बचाने में शहीद

Ayodhya News: अयोध्या के रहने वाले लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का बचपन से ही सेना में जाने का शौक था। साथी को बचाने के लिए खुद अपनी जान गंवा दी।

अयोध्याMay 23, 2025 / 01:28 pm

Mahendra Tiwari

Ayodhya News

अयोध्या स्टेशन फोटो सोर्स विकिपीडिया

Ayodhya News: उत्तर प्रदेश अयोध्या के रहने वाले लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का बचपन से ही सेना में जाने का जज्बा था। ऑपरेशन कांबिंग के दौरान उनका एक साथी नदी में गिर गया। वह तेज बहाव में बहने लगा। जिसे बचाने के लिए शशांक नदी में कूद गए। साथी को मौत के मुंह से खींच कर बाहर निकाल ले आए। लेकिन वह स्वयं को नहीं बचा सके। उन्होंने अपनी जान गंवा दी।

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Ayodhya News: अयोध्या के रहने वाले लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी सिक्किम में शहीद हो गए। आज शाम तक उनका शव अयोध्या लाया जाएगा। कल राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। शशांक घर के इकलौते बेटे थे। 2019 में उनका सिलेक्शन एनडीए में हुआ था। पिछले साल उनकी पहली पोस्टिंग सिक्किम में हुई। अयोध्या के होनहार लाल का एक साथी ऑपरेशन गश्त के दौरान नदी में गिर गया। वह तेज बहाव में बहने लगा। जिसे बचाने के लिए शशांक ने बिना अपने जान की परवाह किए हुए नदी में कूद गए। साथी को तो खींच कर नदी से बाहर निकाल लाये। लेकिन खुद की अपनी जान गंवा दी।

शशांक की अभी शादी नहीं हुई

शशांक तिवारी मूल रूप से अयोध्या के कैंट थाना क्षेत्र के गांव मझवां गद्दोपुर के रहने वाले थे। उनके पिता जंग बहादुर तिवारी मर्चेंट नेवी में है। और वर्तमान समय में वह अमेरिका में तैनात हैं। बेटे की मौत की खबर सुनते ही वह अमेरिका से भारत के लिए रवाना हो चुके हैं। बताया जाता है कि शशांक की मां हार्ट की पेशेंट है इसलिए उन्हें अब तक बेटे के मौत की खबर नहीं दी गई है। शशांक की बड़ी बहन दुबई में रहती है। लेकिन इस समय वह अयोध्या में है।
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बचपन से ही सेना में जाकर देश की सेवा करने का जज्बा था

शशांक बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में बहुत तेज थे। बचपन से ही सेना में जाकर देश की सेवा करने का जज्बा उनके भीतर था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा शहर केजिंगल बेल स्कूल से हुई। 2019 में उसने जेबीए एकेडमी से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। इसके बाद उसका सिलेक्शन एनडीए में हो गया। शशांक के मामा राजेश दुबे का कहना है की शशांक बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थे। देश सेवा की भावना बचपन में ही उनके भीतर जागृत हो चुकी थी।

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