सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मालाखेड़ा के अधीन 80 से अधिक गांव आते हैं। जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सक नहीं होने के कारण उस क्षेत्र के लोग बीमार होने पर मजबूरी में मालाखेड़ा आना पड़ता है। इसके चलते यहां रोगियों की संख्या अधिक बढ़ रही हैं। यहां कई चिकित्सक पीजी करने गए हैं। इसके कारण डॉक्टर का टोटा है। अस्पताल का पुराना जर्जर भवन है, जहां रोग उपचार के लिए भीड़ लगी रहती है। बिजली जाने के बाद रोगियों का हाल बेहाल हो जाता है। जनरेटर यहां पर ताले में कैद है। इमरजेंसी कक्ष के लिए इन्वर्टर है, जो विद्युत कटौती के दौरान कुछ समय के बाद ही दम तोड़ देता है। अस्पताल में फिजिशियन, सर्जन, गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर लगाने के लिए खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अलवर को कई बार पत्र लिखे हैं, लेकिन कोई भी वैकल्पिक व्यवस्थाएं यहां नहीं की गई है। जिसके चलते आउटडोर में रोगियों को काफी देर तक खड़े रहना पड़ता है। कई बुजुर्ग परेशान होकर चक्कर आने पर बरामदे में ही बैठ जाते हैं। मालाखेड़ा अस्पताल में ही इस क्षेत्र के अलावा लक्ष्मणगढ़, मौजपुर सहित अन्य क्षेत्र से प्रसूताएं आती हैं। ईश्वर सिंह, गणपत सिंह, प्रभु दयाल, राजेश कुमार यादव, शिवचरण भलाई, मूलचंद चौधरी, गोविंद सहाय व्यास, जितेंद्र कुमार, राजेंद्र व्यास, भारत जाट, जगदीश चौधरी, सतीश कुमार सभी ने मालाखेड़ा अस्पताल में चिकित्सक लगाने की मांग की है।
उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा जा चुका हैडॉक्टर के पद रिक्त होने के साथ कई डॉक्टर पीजी करने गए हैं। इसके चलते आउटडोर में डॉक्टर की कमी रहती है। इस वजह से भीड़ ज्यादा बनी रहती है। डॉक्टर लगाने के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र लिखा जा चुका है।
लोकेश मीणा, खंड मुख चिकित्सा अधिकारी।…………….