………………………………………………….. सिलीसेढ़ झील चादर चलने के करीब अकबरपुर. झमाझम बरसात के बाद नाले उफान पर है और सिलीसेढ़ झील में पानी की आवक हो रही है। इसके चलते बांध में चादर चलने उम्मीद है। झील में 27 फिट 11 इंच पानी हो गया है। क्षेत्र में 2 दिनों से हो रही बरसात से ढहलाबास, बख्तपुरा, सिरावास व अन्य गांव में बहने वाले बरसाती नालों में पानी आया है। जिसमें बख्तपुरा गांव से जाने वाले नाले के पुल के ऊपर से पानी बहता रहा, जिसके कारण लोगों की आवाजाही भी बंद हो गई। सिलीसेढ झील की भराव क्षमता 29 फीट है। जल संसाधन विभाग के जेईएन नीरज शर्मा ने बताया 4 बजे तक सिलीसेढ़ झील में 27.11 इंच पानी पहुंच गया है और सिलीसेढ क्षेत्र में 56 एमएम बारिश दर्ज हुई है।
…………………………………………. सिरावास तथा सिलीबेरी नदी उफान पर मालाखेड़ा. क्षेत्र की सिरावास नदी में उफान आने पर बावड़ी तिराहे से करीब एक दर्जन गांव, ढाणियों का संपर्क कट गया। लोग वहीं पर कैद रहे। नाहर शक्ति धाम, कीतपुरा, गांव का संपर्क सिलीबेरी नदी आने से कट गया। जहां नदी के बहाव रहने तक रेबारी बास, भाटला बास में लोग रुके रहे। मंगतूराम, भगवान सिंह, मानसिंह, त्रिलोक व महेंद्र ने बताया सिलीबेरी नदी में पानी आने से इस सीजन में पहली बार बांध में पानी पहुंचा है। सिरावास नदी में पानी आने से सिरावास, रुंध सिरावास, डोबा, रिंग्सपुरी, बद्री नगर, मीणा धानी, प्रजापत धानी, बावरियों की ढाणी सहित अन्य क्षेत्र का संपर्क कट गया।
…………………………………………………. बारिश में बाराही माता के मंदिर का गुंबद जमींदोज पिनान. माचाड़ी कस्बे में करीब 700 वर्ष पुराना बाराही माता के मंदिर का एक गुंबद बुधवार रात करीब तीन बजे बारिश में गिर गया। गुरुवार को सूचना पर एसडीएम हरकेश मीना, तहसीलदार कैलाश चंद मेहरा मौके पर पहुंचे और जायजा लिया। जेसीबी से मलबे को हटवाया गया। मंदिर के चार गुंबद है। अब तीन रह गए। गुंबद दिन में गिरती तो बड़ा हादसा हो सकता था। ग्रामीणों ने इसके नव निर्माण की मांग की। यह मंदिर सड़क के पास है। जहां मलबा गिरा, जिसको हटवा दिया गया। यहां पुरातत्व विभाग के अधीन कार्यरत सुपरवाइजर से मरम्मत कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही हादसे की पुनरावृत्ति नहीं होने से बचने के लिए बेरिकेडिंग करने निर्देश दिए।
…………………………….. तहसील परिसर में पानी भरा, कामकाज प्रभावित रैणी. रैणी तहसील परिसर में गुरुवार को हुई हल्की बारिश के बाद ही पानी भर गया। जगह-जगह जलभराव होने से न केवल कर्मचारियों को दफ्तर आने-जाने में परेशानी हुई। तहसील परिसर के मुख्य द्वार से लेकर अंदर तक पानी भरा रहने से कामकाज भी प्रभावित हुआ। एडवोकेट सुनील शर्मा सहित ग्रामीणों ने प्रशासन से शीघ्र पुख्ता जल निकासी व्यवस्था की मांग की है। यह पानी पुराने बांध में जाना चाहिए था लेकिन बांध के ऊपर सड़क बनने से पानी का बहाव क्षेत्र बदल गया।