आरोप है कि सवा साल में प्रधानाध्यापक की ओर से छह बार रमसा के जेईएन व ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी को स्कूल भवन गिरने की स्थिति व एस्टीमेट बनाकर अवगत कराया, लेकिन अधिकारियों की ओर से इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। इस भवन का निर्माण 1996 में हुआ था। भवन में चार कमरे हैं। सागर सिंह, विश्वेंद्र सिंह, रामवीर, अजय आदि ने बताया कि इन चार कमरों में से एक तो गिराऊ हालत में है। जिसमें ऑफिस का सामान रखा है। दूसरे कमरे में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है, जिसमें 22 बच्चे आते हैं। शेष दो कमरों में आठ कक्षाओं के 46 छात्र-छात्राएं बैठते हैं। उन कमरों की स्थिति दयनीय होने के कारण बच्चे बरामदे में भी पढ़ते हैं। बरामदे की छत की पट्टी टूटी हुई है। भवन की स्थिति ऐसी है कि कभी भी हादसा हो सकता है।अभिभावक भी चिंतित
स्कूल भवन के जर्जर हालातों को लेकर अभिभावक भी अपने बच्चों को डरते-डरते स्कूल भेज रहे हैं। उन्हें भी हादसे की चिंता रहती है। भवन के एक कमरे में आरपार दरार पड़ गई। उसमें से रविवार को ऑफिस का सामान निकालकर दूसरी जगह रखवा दिया। एक और कमरा की भी गिराऊ स्थिति में हैं। इस बारे में विभागीय अधिकारियों को अवगत करा दिया गया। इस सम्बन्ध में रमसा के जेईएन व सीबीईईओ से बात की तो बताया कि प्रस्ताव भेज रखा है। मंजूर नहीं हुए।कई बार अवगत कराया
स्कूल भवन जर्जर है। फिलहाल बच्चों को बरामदे में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। बरामदों में भी पानी टपकता है। पहले भी कई बार अवगत कराया है। किशनलाल सैनी, प्रधानाध्यापक राउप्रावि, नंगली भवाना।