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अलवर

कठूमर क्षेत्र में मानसून रहा कमजोर, कम बारिश के चलते आठ बांध अभी भी प्यासे

गत दो साल की तुलना में इस बार जुलाई तक कम हुई बारिश

-करीब 30 साल पहले 1996 में आई बाढ के दौरान ओवरफ्लो हुए थे सभी बांध

अलवरAug 07, 2025 / 12:04 am

Ramkaran Katariya

कठूमर. प्रदेश सहित अलवर जिले के अन्य क्षेत्रों में भले ही मेघ मेहरबान रहे और जमकर बरसे, लेकिन कठूमर क्षेत्र में मानसून कमजोर ही रहा। कम बारिश के कारण क्षेत्र के सभी आठ बांधों की प्यास नहीं बुझ पाई और इनके पेटों में पानी की जगह घास व खरपतवार से हरियाली छाई हुई है।कठूमर क्षेत्र में अच्छी बारिश के लिए अब भी लोग तरस रहे हैं। बारिश की कमी के कारण न केवल सभी बांध सूखे पड़े हैं, बल्कि अन्य ताल-तलैया, पोखरों में भी पानी न के बराबर आया है। 2024 में अच्छी बारिश के चलते सालवाड़ी बांध ओवरफ्लो हो गया था और गालाखेड़ा व टिटपुरी बांध में भी चार फीट पानी आ गया था, लेकिन इस साल जोरदार बारिश नहीं होने से क्षेत्र के सभी बांधों की सतह सूखी पड़ी है। बरसात के आंकड़ों पर नजर डाले तो दो साल की तुलना में इस बार 31 जुलाई तक कम बारिश हुई है। क्षेत्र में 2023 में 31 जुलाई तक 494, 2024 में 401 मिमी बरसात हुई थी, जबकि 2025 में अब तक केवल 376 मिमी बारिश हुई है।
ये बांद रहे रीते

क्षेत्र में पंचायत समिति के अधीन आठ बांध हैं। इनमें तसई, टिटपुरी, अड़ोली, जटवाड़ा, पीतमपुरा, समोची, सालवाड़ी, गालाखेड़ा बांध शामिल हैं। केचमेंट एरिया के हिसाब से सबसे बड़ा बांध पीतमपुरा को माना जाता है, जबकि अड़ोली बांध की गहराई सबसे अधिक 10 फीट है। क्षेत्र के जल विशेषज्ञों का मानना हैं कि इस बार बारिश तो कम हुई है, लेकिन बांधों के नहीं भरने का सबसे बड़ा कारण पीछे से पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं आना है। इन सब बांधों का एक दूसरे से अटेचमेंट है और जब पीछे के बांध ओवरफ्लो होते हैं, तभी आगे के बांधों में पानी आता है। इसके अलावा दूसरा बड़ा कारण बांध में पानी आने के रास्तों में अवरोध, अतिक्रमण, छितराईं बारिश है। जल स्वावलंबन योजना में पहाड़ों के नीचे अनेक एनिकट बनने से भी बांधों में पानी नहीं आता है। एक साथ आठ या दस इंच बारिश होने पर बांधों में पानी आने की संभावना बनती है। क्षेत्र में करीब तीन दशक पहले 1996 में जोरदार बारिश हुई थी और एक ही दिन में आठ से दस इंच बारिश पूरे एरिया में होने से चारों तरफ पानी ही पानी हो गया था। अनेकों जगह बाढ आ गई थी। सभी बांध, पोखर, ताल तलैया ओवरफ्लो हो गए थे।फैक्ट फाइल
क्षेत्र में (पिछले छह साल में एक जनवरी से 31 जुलाई तक हुई बारिश )सन             31 जुलाई तक बारिश जुलाई में बारिश

2020             231                         1452021             170                         111

2022             364                         207

2023             494                         1642024             401                         255
2025             376                         173

यह बोले जानकारतसई तुसारी बांध पूरी तरह 1996 में भरा था। उस दौरान एक माह पानी चला था। उसके बाद 2023, 2024 में बांध में पानी आया। इस बीच में कभी पानी नहीं आया। बांध में पानी जलस्तर बढ़ाने व फसलों के लिए बहुत फायदेमंद रहता है।मुकेश सिंह चौहान, प्रशासक तसई
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क्षेत्र में पानी की समस्या विकराल है। क्षेत्र के बांधों में पानी नहीं आने का कारण बरसात के साथ रास्ते भी अवरूद्ध होना है। प्रकृति के संरक्षण, पारिस्थितिकी संतुलन के लिए हम सभी को भी प्रयास करना चाहिए।
संजय अवस्थी, सामाजिक कार्यकर्ता, समूची।

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इस बार अच्छी बारिश नहीं होने से क्षेत्र के सभी बांध सूखे पड़े हैं। हालांकि कई जगह रुकावट भी इसका कारण बनती है। टिटपुरी जैसे बांधों में घाट केनाल के ओवरफ्लो होने से पानी पहुंचता है और टिटपुरी के ओवरफ्लो का पानी होने के बाद इस पानी से तुसारी तसई बांध भरता है।शिवराम मीणा, विकास अधिकारी पंचायत समिति, कठूमर।

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