गौरतलब है कि अलवर जिले में सिलीसेढ़ झील ही मात्र एक ऐसी झील है, जिसमें वर्ष भर पानी भरा रहता है। घूमने के लिए पर्यटकों का तांता लगा रहता है और नौका विहार और भ्रमण का आनंद उठाते हैं। इस कारण यह झील अपनी अलग पहचान बनाई हुई है, लेकिन प्राचीन समय की बनी झील की ऊपरा की दीवार में कई जगहों से पानी रिसाव हो रहा है। अब इसकी पाल की दीवार को दुरुस्त करवाने की आवश्यकता है। स्थानीय लोगों ने भी संबंधित विभाग को झील पाल को दुरुस्त कराने की मांग की है।झील की भराव क्षमता 28.9 फीटसिलीसेढ झील की भराव क्षमता 28.9 फीट है और समर्जेंस एरिया 3.33 स्क्वायर किलोमीटर में है। कैचमेंट एरिया 136 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ है। वन एवं पर्यावरण प्रेमी नरेंद्र सिंह राठौड़ आदि का कहना है कि सिलीसेढ झील का निर्माण 1815 से 1857 में करवाया गया था। यहां पाल बनाई गई थी। वह टूट गई थी। उसके बाद फिर दूसरी बार पाल बनवाई गई, जिसमें पहले 32 फीट इसकी भराव क्षमता थी, लेकिन बाद में इस पाल की ऊंचाई को कम करवा कर करीब 29 फीट कर दिया गया। अब काफी पुरानी और जर्जर हो गई, जिसमे पाल से कई जगह पानी रिसाव हो रहा है। कुछ भी नुकसान हो सकता है। इस बारे में सिंचाई विभाग को बरसात से पहले पाल दुरुस्त करने के लिए भी पत्र लिखा था।
…….सही करा देंगेसिलीसेढ़ झील की पाल को दिखवा देते हैं और सही करवा दिया जाएगा। नीरज शर्मा, जेईएन, सिंचाई विभाग।