उस दौरान यहां 500 ट्रकों के खड़ा करने के लिए व्यवस्था की गई थी। ट्रांसपोर्टर्स भी गिनती के थे। आज यहां 2 हजार से ज्यादा ट्रकों का आवागमन हो रहा है। ऐसे में ट्रांसपोर्ट नगर व ट्रक स्टैंड छोटे पड़ने लगे हैं। ट्रांसपोर्ट कंपनी से लेकर ट्रकों की मरमत की दुकानें भी सैकड़ों में पहुंच गई हैं।
पहले ये थीं सुविधाएं
मास्टर प्लान के मुताबिक ट्रांसपोर्ट नगर, रणजीत नगर के पास करीब एक दशक पहले बसाया गया था। यह एक नई अवधारणा थी। इसके तहत ट्रांसपोर्ट नगर से यात्रियों के लिए रेलवे, बस, शेयर्ड टैक्सी और बाइक जैसे सार्वजनिक परिवहन तक आसान पहुंच प्रदान करनी थी। लोगों के अलावा माल के परिवहन की सुविधा भी यहां दी गई थी। भारी वाणिज्यिक वाहनों को समायोजित यहीं किया जा रहा है। लोडिंग, अनलोडिंग के कार्य यहां दिन-रात चलते हैं। ईंधन भरने से लेकर मरमत की सुविधा भी दी गई है। पार्किंग भी यहां बनाई गई। यूआईटी ने यह सब एक दशक पहले किया, लेकिन आज लोगों की संया बढ़ी और ट्रकों की संया में इजाफा होता गया।
बनाया जा सकता है नया ओवरब्रिज
शहर का ट्रांसपोर्ट नगर शहर के उत्तर-पूर्व में है। मुय सड़क नरू मार्ग से जुड़ी हुई है, जिस पर ट्रकों का आवागमन अधिक है। नरू मार्ग-ट्रक स्टैंड से बाइपास रोड को मिलाने वाली सड़क पर ओवरब्रिज नहीं बनाया गया। यहां रेलवे लाइन भी बीच में है। ऐसे में वाहनों की अवरूद्धता की कठिन समस्या बनी हुई है। इसी को देखते हुए नया ओवरब्रिज भी प्रस्तावित किया जा सकता है। यूआईटी से सेवानिवृत्त एक्सईएन प्रमोद शर्मा का कहना है कि ट्रांसपोर्ट नगर का विस्तार जितना जल्दी हो, करना चाहिए। इसके लिए ट्रांसपोर्ट नगर के पास ही जमीन ली जा सकती है। ट्रकिंग सिस्टम से जुड़े लोगों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी तो पूंजी बढ़ेगी और अलवर के विकास में काम आएगी।