पशुपालन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अलवर जिले में अभी तक 81500 गोवंश का टीकाकरण किया जा चुका है। करीब 50 प्रतिशत टीकाकरण हो चुका है। यह अभियान मानसून से पहले दो माह तक चलेगा, जिससे आवश्यक इयुनिटी समय पर विकसित हो सके और रोग के फैलाव को प्रभावी रूप से रोका जा सके। अन्य राज्यों की सीमा से लगते जिले के गांवों, पूर्व में सर्वाधिक रोग प्रभावित ग्रामों, गोशालाओं व संरक्षित वन क्षेत्रों से लगते ग्रामों में टीकाकरण को प्राथमिकता दी जा रही है। टीकाकरण रजिस्टर बनाना अनिवार्य किया गया है।
लंपी रोग एक संक्रामक और जानलेवा बीमारी
लंपी रोग एक संक्रामक और जानलेवा बीमारी है, जिससे मुय रूप से गोवंश प्रभावित होते हैं। इससे न केवल पशुओं की जान को खतरा होता है, बल्कि पशुपालकों को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता है। इसलिए पशुपालकों को भी जागरूक किया जा रहा है। लक्षण मिलने पर तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
अभियान के लिए की गई माइक्रोलेवल प्लानिंग
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. रमेशचंद मीणा ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए निर्देशों के तहत जिले और ब्लॉक स्तर पर माइक्रोलेवल प्लानिंग की गई है। इसके अनुसार, प्रत्येक संस्था को उनके क्षेत्र में मौजूद पशुओं की संया के आधार पर टीकाकरण लक्ष्य आवंटित किया गया है। विभाग ने पहले ही सर्वेक्षण, निदान और नियंत्रण के लिए आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली हैं। इसके अतिरिक्त, ग्रामीण क्षेत्रों में जन-जागरुकता अभियान चलाकर पशुपालकों को लंपी रोग और उसके बचाव के उपायों की जानकारी भी दी जा रही है।