इसलिए जरूरी है अंडरपास
सामान्य व महिला अस्पताल में आने वाले 30 फीसदी से ज्यादा मरीज एक-दूसरे अस्पताल में हर दिन जाते हैं। इनकी संख्या करीब 450 से ऊपर है। इसमें कुछ गंभीर मरीज भी होते हैं। परिजन इन्हें अपने तरीके से एक-दूसरे अस्पतालों में ले जाते हैं। अस्पताल के बाहर जाम लगता है। रोड क्रॉस करने में भी पसीना आता है। ऐसे में एक से दूसरे अस्पताल पहुंचने में समय ज्यादा लगता है। जबकि गंभीर मरीज के जीवन पर यह देरी भारी पड़ सकती है।ट्रैफिक लाइट का विकल्प काम नहीं आएगा
एक सीनियर प्रशासनिक अफसर के मुताबिक, दोनों अस्पतालों को जोड़ने के लिए अंडरपास ही एक विकल्प है। यहां ट्रैफिक लाइट लगाने का प्रस्ताव पहले आया था या एंबुलेंस से मरीज दूसरे अस्पताल भेजने की बात भी सामने आई थी, लेकिन यह काम नहीं हो पाया। अंडरपास पर मंथन चल रहा है। जल्द ही इसको लेकर निर्णय होगा।मेडिकल शॉप हो सकती हैं शिफ्ट
बताया जा रहा है कि अंडरपास की राह में कुछ मेडिकल की दुकानें आ रही हैं। इनके प्रभाव से भी अंडरपास की फाइलें बंद हुई हैं। यूआईटी से सेवानिवृत्त एक्सईएन प्रमोद शर्मा का कहना है कि जयपुर की तर्ज पर मेडिकल शॉप अंडरपास में भी शिफ्ट की जा सकती हैं। इससे संबंधित विभाग को आय भी होगी। अंडरपास बनने से मरीजों को सहूलियत होगी।यह भी पढ़ें:
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