अलवर जिले सहित राजस्थान के कई हिस्सों में इस समय भीषण गर्मी ने जनजीवन को बेहाल कर दिया है। तापमान लगातार 45 डिग्री सेल्सियस के पार जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत काम कर रहे मजदूरों के लिए राहत के कोई ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं।
भीषण गर्मी में काम करते मजदूर भीषण गर्मी के बावजूद मनरेगा कार्यस्थलों पर काम का समय पूर्ववत बना हुआ है, जिससे मजदूरों को जान जोखिम में डालकर कार्य करना पड़ रहा है। मजदूरों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह कार्य समय को सुबह जल्दी कर दे या दोपहर के समय काम पूरी तरह रोक दे, ताकि मज़दूरों को परेशानी नहीं हो। लेकिन जिला और पंचायत स्तर पर अब तक समय में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
मजदूरों ने बताया कि वे जोहड़ की खुदाई कर रहे हैं, जिससे उनके हाथों में छाले पड़ गए हैं। जोहड़ में कंक्रीट व पथरीली मिट्टी है। भीषण गर्मी में खुदाई करने में काफी परेशानी हो रही है।
मजदूरों ने बताया कि खुदाई से पहले पानी का छिड़काव करना पड़ता है। सहायक अभियंता गोविंद सिंह ने बताया कि सामान्य और कंक्रीट मिट्टी की खुदाई में मजदूरी का अंतर है और मजदूरी का निर्धारण 196 से 253 रुपए के बीच किया गया है।
नरेगा योजना के तहत सर्दी में मजदूरी 281 रुपए थी, जो अब गर्मी में घटकर 196 रुपए हो गई है, जिससे मजदूरों को दोहरा नुकसान हो रहा है। केंद्र और राज्य सरकार ने कार्य का समय सुबह 6 से 1 बजे तक रखा है, लेकिन पिछले दो महीनों से मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है, जिससे मजदूरों के परिवारों का पालन-पोषण मुश्किल हो रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी चेताया है कि अत्यधिक गर्मी में काम करना जानलेवा साबित हो सकता है।