मामले में परिषद के कुछ कार्मिकों के नाम सामने आने की संभावना है। पूर्व में हुई लिपिक भर्ती के दौरान अनुभव प्रमाण पत्र मांगे गए थे। अलवर जिला परिषद के नाम से जारी हुए अनुभव प्रमाण पत्र पर भी कई लोग लिपिक बने। इसमें दो केस ऐसे सामने आए, जिनके अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी थे। एक प्रमाण पत्र पर एक आरएएस अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर थे।
केस दर्ज नहीं
वहीं, दूसरे प्रमाण पत्र पर आईएएस फर्जी हस्ताक्षर थे। यह मामला राजस्थान पत्रिका ने उजागर किया तो अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया। जिला परिषद जयपुर में तैनात इन लिपिकों को बर्खास्त कर दिया गया, लेकिन केस दर्ज नहीं कराया गया। यह मामला भी पत्रिका ने उठाया तो अब जाकर सीईओ ने अरावली विहार थाने को पत्र लिखा है। दोनों बर्खास्त लिपिकों पर केस दर्ज होने के बाद पुलिस अब पूरे मामले की जांच करेगी कि आखिर कैसे जयपुर जिला परिषद की ओर से अलवर जिला परिषद के ईमेल पर सत्यापन के लिए भेजे गए पत्र के आधार पर फर्जी सत्यापन रिपोर्ट जिला परिषद जयपुर को भिजवाई गई।
मुकदमा दर्ज होने के बाद साफ होगा कि अलवर जिला परिषद से जारी कितने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों से दूसरे जिलों में फर्जी अभ्यर्थियों ने लिपिक पद पर नियुक्ति प्राप्त की। बताया जा रहा है कि कुछ लोग गिरोह के रूप में यही फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनाकर लोगों को नौकरी दिलवाने का काम कर रहे हैं। ऐसे में अब उनकी गर्दन फंसती नजर आ रही है।