इस तरह लिया गया निर्णय
10 अक्टूबर 2024 को यूआईटी ट्रस्ट की बैठक में वित्त विभाग के पे मैनेजर के जरिए यूआईटी के सभी प्रकार के भुगतान का प्रस्ताव पास हुआ। इस व्यवस्था के तहत यूआईटी हर माह होने वाले भुगतान के पैसे पहले वित्त विभाग को भेजती है और फिर वहां से रकम जारी होती है। यूआईटी की संस्तुति के दो से तीन माह बाद भी कई भुगतान नहीं हो पा रहे हैं। कर्मचारियों के वेतन से पेंशन तक की राशि पे मैनेजर के जरिए कर दी गई, जबकि यूआईटी स्वपोषी संस्था है। यूआईटी की ओर से भेजी गई रकम वहां खातों में कई माह रहती है, जबकि भेजी गई राशि का ही यूआईटी को काफी ब्याज मिल सकता है या फिर तुरंत पे मैनेजर के जरिए राशि जारी हो।
यहां के कार्य प्रभावित
सूर्य नगर से लेकर अरावली विहार, पटरी पार एरिया की सड़कों के कार्य भुगतान के अभाव में नहीं दौड़ पा रहे हैं। कुछ ठेकेदारों का कहना है कि तीन से चार माह से पेमेंट जयपुर से नहीं हो पा रही। पहले यूआईटी के जरिए आसानी से हो जाती थी और काम भी गति पकड़ता था, लेकिन अब अफसरों ने सब उल्टा कर दिया। यहां अफसर चेक पर साइन नहीं करना चाहते। फूड स्ट्रीट से लेकर साइकिल ट्रैक के काम भी रकम अभाव में अटके हुए हैं।
यूआईटी को अपना निर्णय बदलना चाहिए
यूआईटी से रिटायर्ड इंजीनियर विपिन कुमार का कहना है कि डिजिटल इंडिया में चीजें आसान होनी चाहिए, लेकिन यूआईटी ने उल्टी उलझा दी हैं। जयपुर में पूरे प्रदेश के भुगतान का जिम्मा है, ऐसे में यूआईटी के अधिकारी पूर्व की तरह यह जिम्मेदारी लें। जयपुर भुगतान की रकम भेजने की बजाय यहीं से चेक के जरिए या ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए भुगतान करे। इससे व्यवस्था अच्छी होगी और लोगों को भी परेशानी नहीं होगी। यूआईटी को अपना निर्णय बदलना चाहिए। सरकार के आदेश के मुताबिक ही पे मैनेजर से भुगतान स्टेट ट्रेजरी करती है। यह पारदर्शी व्यवस्था है। स्टेट ट्रेजरी से काफी जिलों का भुगतान होता है, इसलिए देरी हो जाती है। – स्नेहल नाना, सचिव, यूआईटी