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अजमेर

बिजयनगर ब्लैकमेल कांड में आया बड़ा अपडेट, कैफे संचालक सहित दो नाबालिगों को नहीं मिली राहत, जानें क्यों?

Bijaynagar Rape Blackmail Case: अजमेर की पॉक्सो कोर्ट ने बिजयनगर रेप और ब्लैकमेल कांड में तीन आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।

अजमेरJun 06, 2025 / 04:13 pm

Nirmal Pareek

Ajmer Bijaynagar blackmail case

फाइल फोटो, सोर्स- प्रत्रिका नेटवर्क

Bijaynagar Rape Blackmail Case: अजमेर की पॉक्सो कोर्ट ने बिजयनगर रेप और ब्लैकमेल कांड में तीन आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। इनमें कैफे संचालक श्रवण जाट और दो नाबालिग शामिल हैं। मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील प्रशांत यादव ने कोर्ट के सामने ठोस तर्क रखे, जिसके बाद कोर्ट ने सभी याचिकाओं को नामंजूर कर दिया।

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बता दें, इससे पहले 4 जून को पूर्व पार्षद हकीम कुरैशी की जमानत याचिका भी खारिज हो चुकी है। पुलिस ने इस मामले में अब तक 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 11 बालिग और 5 नाबालिग हैं।

15 फरवरी को सामने आया था मामला

मामला तब सामने आया जब 15 फरवरी को बिजयनगर थाने में एक नाबालिग लड़की ने शिकायत दर्ज की। इसके बाद दो अन्य नाबालिग लड़कियों और उनके परिजनों ने भी आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की। आरोप है कि प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाली नाबालिग लड़कियों के साथ चील आउट कैफे में रेप की वारदात हुई।
आरोपियों ने अश्लील फोटो-वीडियो बनाकर पीड़िताओं को ब्लैकमेल किया और उन्हें जबरन रोजा रखने, कलमा पढ़ने, बुर्का पहनने और धर्मांतरण के लिए मजबूर किया।

कैफे संचालक की भूमिका गंभीर

सरकारी वकील ने बताया कि कैफे संचालक श्रवण जाट आरोपियों के साथ मिला हुआ था। वह जानता था कि नाबालिग लड़कियों को गलत इरादों से कैफे लाया जा रहा है, फिर भी उसने कोई रोकटोक नहीं की। इसके बदले उसने पैसे लेकर आरोपियों को शरण दी। वारदात के समय श्रवण कैफे में मौजूद था।
मामले के उजागर होने के बाद वह फरार हो गया था, लेकिन पुलिस ने उसे कर्नाटक से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज करते हुए सख्त रुख अपनाया।

नाबालिग आरोपियों की याचिका खारिज

दो नाबालिग आरोपियों की जमानत याचिकाएं भी कोर्ट ने ठुकरा दीं। इन नाबालिगों पर पीड़िताओं को फोन पर अश्लील बातों के लिए परेशान करने, अन्य लड़कियों से दोस्ती का दबाव डालने और धार्मिक प्रथाओं को थोपने का आरोप है। कोर्ट ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए जमानत देने से इनकार किया।

पूर्व पार्षद की जमानत भी हुई थी खारिज

4 जून को पूर्व पार्षद हकीम कुरैशी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि नाबालिगों पर धार्मिक दबाव डालना और उनकी स्वतंत्रता छीनना गंभीर अपराध है। इस मामले के बाद बिजयनगर और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक प्रदर्शन हुए थे, जिसमें आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की गई थी। पुलिस ने पॉक्सो और अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर जांच तेज कर दी है।

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