आयोजकों ने प्रधानमंत्री के नाम लिखे गए एक विस्तृत आवेदन पत्र को पढ़ा। इस आवेदन पत्र में कहा गया कि आज जब दुनिया भोग विलास के पीछे दौड़ रही है, तब जैन संत सांसारिक सुखों का त्याग करके जन-जन के कल्याण के लिए ज्ञान, साधना और कठोर तपस्या कर रहे हैं। ऐसे त्यागी, तपस्वी और वैरागी संतों की वाहन दुर्घटनाओं में हो रही मौत चिंताजनक हैं।
एक्सीडेंट की एक जैसी मोडस ऑपरेंडी
राजस्थान के पाली जिले के पास जैनाचार्य पुंडरीकरत्नसूरी महाराज, गुजरात के बारडोली में मुनि अभिनंदन, भरुच के पास महासती सहित कई शंकास्पद मार्ग दुर्घटनाओं में जैन संतों की जान गई है। समाज का मानना है कि यह घटनाएं केवल वाहन दुर्घटना नहीं हैं, क्योंकि हर वाहन दुर्घटना की समान पद्धति दिखाई दे (मोडस ऑपरेंडी) रही है। वाहन चालक को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है, वाहन को कोई नुकसान नहीं होता है। वाहन मार्ग के नीचे गड्ढे में उतरने की जगह संत को इरादा पूर्वक कुचलते हुए फरार हो जाता है। यह कोई संयोग नहीं बल्कि टार्गेटेड किलिंग और ठंडे कलेजे से की गई सुनियोजित हत्या है।
अंतरराज्यीय षडयंत्र की शंका, जांच को बने एसआईटी
जैन समाज के लोगों ने जैन संतों को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने की मांग की। समाज ने कहा कि जिस प्रकार से एक नहीं अलग-अलग राज्यों में मार्ग दुर्घटनाओं में जैन संतों की मौत हो रही है। वह अंतरराज्यीय षडयंत्र की तरफ इशारा करती है। सरकार को सुप्रीमकोर्ट के निवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में उच्च स्तरीय जांच समिति (एसआईटी) गठित करनी चाहिए। दोषियों को जल्द सजा देने को राज्यों की राजधानी में फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामलों की सुनवाई करनी चाहिए। समाज के विरुद्ध द्वेषपूर्ण प्रचार करने वाले संगठनों के विरुद्ध यूएपीए और एनएसए कानून के तहत कार्रवाई करनी चाहिए। संतों के लिए अलग सुरक्षित पगडंडी बनाने की भी मांग की गई।