राज्य सरकार ने बुधवार को इस निर्णय की आधिकारिक घोषणा की। इसमें बताया कि राज्य सरकार ने शिक्षाविद डॉ.जयेंद्र सिंह जादव की अध्यक्षता में शिक्षाविदों की एक समिति गठित की थी। समिति ने मुख्यमंत्री को सौंपी रिपोर्ट के आधार पर राज्य में 360 डिग्री सर्वांगीण मूल्यांकन को इसी साल से लागू करने का निर्णय किया है। इसमें विद्यार्थियों के ज्ञान, कौशल, मूल्य, व्यवहार, सहयोग की प्रवृत्ति को ध्यानार्थ लिया जाएगा।
हॉलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड होगा तैयार
नया सर्वांगीण मूल्यांकन ढांचा व नई पद्धति पारंपरिक परीक्षा आधारित अंक-आधारित मूल्यांकन पद्धति से थोड़ी अलग है। अब छात्रों की केवल शैक्षणिक उपलब्धियों को ही नहीं बल्कि संज्ञानात्मक (बोधात्मक) , भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी सर्वांगीण विकास का मूल्यांकन होगा। शिक्षक, सहपाठी, अभिभावक और छात्र इन चार व्यक्तियों द्वारा एक समग्र प्रगति कार्ड हॉलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड (एचपीसी) तैयार किया जाएगा। जो न केवल परिणाम का, बल्कि छात्र की प्रगति का दर्पण होगा। इसके लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
जरूरी कौशल विकास को तवज्जो
नई मूल्यांकन पद्धति का मुख्य उद्देश्य मूल्यांकन को सीखने के एक साधन के रूप में उपयोग करना है। यानि केवल परीक्षा की तैयारी के लिए नहीं, बल्कि जीवन के लिए जरूरी कौशल सीखने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना है। इससे छात्रों में उत्तरदायित्व, आत्म-जागरूकता और निरंतर सुधार का दृष्टिकोण विकसित होगा।नए ढांचे में शिक्षकों पर डेटा प्रविष्टि का बोझ कम होगा। छात्रों पर बार-बार लिखित परीक्षाओं का भार कम करने पर ध्यान दिया है। यूनिट टेस्ट के स्वरूप को सरल, अधिक उपयोगी और छात्र-केंद्रित बनाने के लिए इसमें बदलाव किया है।
ये है 360 समग्र मूल्यांकन की अवधारणा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्राथमिक विद्यालयों में नई मूल्यांकन पद्धति में छात्र के समग्र विकास को ध्यान में रखा जाएगा, जिसमें संज्ञानात्मक, भावात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलू शामिल हैं।शिक्षक मूल्यांकन: शिक्षक छात्र के शैक्षणिक प्रदर्शन, कक्षा की गतिविधियों में भागीदारी, सीखने की शैली और व्यवहार का अवलोकन करके उसका मूल्यांकन करेंगे।सहपाठी मूल्यांकन: छात्र एक-दूसरे के प्रदर्शन, सहयोगात्मक व्यवहार और टीम वर्क में भागीदारी का मूल्यांकन करेंगे। इससे ज़िम्मेदारी की भावना, आपसी समझ बढ़ेगी।अभिभावक मूल्यांकन: घर पर छात्र के अभिभावक सीखने के माहौल, रुचियों, शौक और व्यवहार पर प्रतिक्रिया देंगे। इससे स्कूल को छात्र के समग्र व्यक्तित्व को समझने में मदद मिलेगी।स्व-मूल्यांकन: छात्र स्वयं भी अपने प्रदर्शन, क्षमताओं और सुधार के क्षेत्रों का आकलन करेंगे। यह छात्र की आत्म-जागरूकता और आत्म-विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
शिक्षक संघ, विशेषज्ञों से परामर्श
इस ढांचे को लागू करने के लिए, शिक्षा विभाग, शिक्षक संघों, विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों से परामर्श किया गया है। एनसीईआरटी और परख द्वारा तैयार की गई व्यापक विकास योजना के आधार पर, समिति द्वारा गुजरात राज्य की आवश्यकताओं के अनुसार तैयार की गई योजना को गुजरात के स्कूलों में अपनाया जाएगा, जिससे शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों के बीच सक्रिय संवाद को बढ़ावा मिलेगा। यह रूपरेखा राष्ट्रीय स्तर पर सीबीएसई स्कूलों और केंद्रीय विद्यालयों के लिए तैयार की गई है।