पुणे के ब्रह्मवादिनी सखी मंच ने भेजी 5 हजार राखी
उन्होंने बताया कि पुणे की ब्रह्मवादिनी सखी मंच ने 5 हजार राखी भेजी। इनरव्हील क्लब की वडोदरा, ठाणे, सांगली, नवी मुंबई, भोपाल, इंदौर, रतलाम, मंदसौर, खंडवा, गुलबर्गा शाखाओं ने भी राखी भेजी। वडोदरा के कुलस्वामिनी शिरकाई देवी सेवा ट्रस्ट बडौदा, स्वर्णकार समाज बडौदा, सुरभि ब्लाइंड स्कूल बडौदा, बडौदा बग्गी खाना हाई स्कूल, स्टेला मेरी स्कूल, बरोडा हेल्पिंग हैंड्स, सेवार्थी ग्रुप व मुंंबई के जयहिंद कॉलेज सहित कुछ कॉलेजों से भी राखी भेजी गई। श्री दशामां लाड समाज ट्रस्ट बडौदा ने 12 हजार राखी भेजी। गुजरात के अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, अंकलेश्वर, नवसारी, वापी, राजकोट, पाटण से राखी भेजी गई। अधिकांश राखी हाथ से बनाई गई।
राखियों को भेजने में 500 पूर्व छात्र जुड़े
बच्छाव ने बताया कि 500 पूर्व छात्रों ने वडोदरा दांडिया बाजार में प्रो.माणिकराव के श्री जुम्मादादा व्यायाम मंदिर में राखी के 11 पैकेेेट बनाए गए। मंगलवार को भारतीय डाक से कारगिल, सियाचीन में 5-5 हजार राखी, द्रास, बटालिक, जम्मू-काश्मीर, गलवान, आसाम-चीन सीमा पर कुल 11 पैकेट में 65 हजार राखी रवाना की गई। एक पूर्व छात्र सेना में अधिकारी बनने के बाद सीमा पर नियुक्त हुए हैं, पहली बार वहां भी 500 राखी भेजी हैं।
नाम, मोबाइल नंबर, ग्रीटिंग संदेश भी लिखे
राखी भेजने वाली महिला का नाम, फोन नंबर भी लिखा है ताकि सैनिक को पता चल सके कि राखी किसने भेजी है। कुछ बहनों ने ग्रीटिंग कार्ड भी भेजे हैं, जिनमें सैनिकों के प्रति आभार व्यक्त करने वाले संदेश हैं। राखी बांधने के बाद कुछ सैनिक राखी भेजने वाली बहन को फोन करके आभार भी व्यक्त करते हैं। कुछ बहनों को उपहार भी भेजते हैं।
10 साल पहले 2015 में 75 राखी से शुरुआत
बच्छाव ने बताया कि 2015 में पहली बार वडोदरा की छात्राओं के हाथ से बनाई गई 75 राखी सीमा पर भेजी गईं। दूसरे साल 2,200 और तीसरे साल 5,500 राखी सीमा पर तैनात सैनिकों को भेजी गईं। इसके बाद अन्य राज्यों और विदेश से लोग जुड़ते गए और चौथे साल 10,000, पांचवें साल 14,000 और छठे साल कोरोना संक्रमण के कारण सिर्फ 12,000 राखियां ही प्राप्त हुईं। सातवें साल 30,000 से अधिक, आठवें साल 50,000 राखी प्राप्त हुई। नौवें साल 55,000 और 2024 में दसवें साल 61,000 राखी प्राप्त हुई।