अब मैं एसएनएमसी में भर्ती हूं और पूरी तरह स्वस्थ हूं। मां तू मुझे कब झाड़ियों में फेंककर गई इसकी तो मुझे याद नहीं लेकिन मैं दर्द से रोई-चीखी बहुत। तभी तो शाम को उधर से निकले रहे लोगों ने मेरे रोने की आवाज सुन ली। उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। उन्होंने झाड़ियों से मुझे बाहर निकाला। मेरी हालत देखकर तुझे भले ही तरस न आया हो लेकिन पुलिस वाले भी पसीज गए। सब तुझे कोस रहे थे, लेकिन मैं रोती रही ताकि उनका ध्यान मेरी तरफ आए और तुझे गाली न मिले। इसके बाद वे कपड़े में लेपेटकर मुझे अस्पताल ले गए। मैं अब स्वस्थ हूं। मेरा नया ठिकाना क्या होगा मुझे पता नहीं है लेकिन जो भी होगा उन झाड़ियों से बेहतर होगा जहां तू मुझे फेंक गई थी।
झाड़ियों में कपड़े में लिपटी मिली बच्ची
खंदौली क्षेत्र में बहरामपुर स्थित झरना नाले के पास रविवार शाम साढ़े पांच बजे एक नवजात बच्ची सड़क किनारे कपड़ों में लिपटी पड़ी थी। ग्राम फाजिलपुर निवासी कुलदीप परमार का ध्यान उसके रोने की आवाज सुनकर गया। उसने इसकी जानकारी डायल 112 पर दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा दिया। सीएचसी पर प्राथमिक जांच की गई। इसी बीच एक एंबुलेंस चालक ने ऑल यूपी एंबुलेंस ऑपरेटर यूनियन के अध्यक्ष रवि सिसोदिया को जानकारी दी। वह अपनी यूनियन के साथियों के साथ वहां पहुंच गए। इसके बाद बच्ची को एंबुलेंस से आगरा लेकर आए।
बच्ची को लेकर भटकते रहे इधर से उधर
सिसोदिया ने बताया कि उन्होंने बच्ची को भर्ती कराने के लिए सीएमओ कार्यालय से बात की तो वहां से डीपीओ को नंबर मिला। वहां बात की तो उन्होंने कहा कि सुबह मामला देखेंगे। फिर एसएन के प्रिंसिपल को कॉल किया तो उन्होंने कहा कि ऐसे मामले डीपीओ के जरिए ही लेते हैं। इसके लिए प्रक्रिया का पालन होता है। सिसौदिया ने दोबारा डीपीओ को फोन किया तो फिर सुबह की बात दोहराई। इसके बाद चाइल्ड केयर हेल्पलाइन को फोन किया गया। वहां से भी यही कहा गया कि डीपीओ से बात करें।
डीएम ने कराया भर्ती
इतनी जगह कॉल करने के बाद फिर डीएम के स्टेनो को फोन कर बच्ची को तत्काल भर्ती कराने के लिए कहा गया। उन्होंने एसएनएमसी के प्रिंसिपल से बात की। इसके बाद रात करीब साढ़े नौ बजे बाल रोग विभाग में भर्ती किया है। चिकित्सक के अनुसार बच्ची की हालत स्थिर है। फिलहाल, वह खतरे से बाहर है।