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2,000 टन रेत से तैयार हुई दुनिया की सबसे बड़ी बैटरी, पूरे शहर को दे सकती है गर्मी

World’s Largest Battery: दुनिया की सबसे बड़ी बैटरी के बारे में एक रोचक तथ्य यह है कि इसे दो हज़ार टन रेत से तैयार किया गया है। कहाँ और कैसे काम करती है यह बैटरी? आइए नज़र डालते हैं।

भारतAug 12, 2025 / 09:41 am

Tanay Mishra

World's largest battery

दुनिया की सबसे बड़ी बैटरी (फोटो – पोलर नाइट एनर्जी ऑन सोशल मीडिया)

क्या आप सोच सकते हैं कि रेत से भी ऐसी बैटरी बनाई जा सकती है जिससे एक पूरे शहर को सर्दियों में गर्म रखा जा सकता है? यह बात पूरी तरह से सच है। फिनलैंड (Finland) के पोरनाइनेन (Pornainen) शहर में ऐसी ही बैटरी है, जो दुनिया की सबसे बड़ी बैटरी (World’s Largest Battery) है। यह 13 मीटर ऊंची और 15 मीटर चौड़ी है। इसमें करीब 2,000 टन पिसा हुआ सोपस्टोन भरा गया है। यानी कि इसे तैयार करने में 2,000 टन रेत का इस्तेमाल किया गया है।

पूरे शहर को गर्मी दे सकती है यह बैटरी

इस बैटरी को पोलर नाइट एनर्जी (Polar Night Energy) नाम की कंपनी ने तैयार किया है। इसकी खासियत यह है कि यह 100 मेगावॉट-घंटे तक हीट यानी गर्मी को स्टोर कर सकती है, जो पूरे शहर को गर्मी देने के लिए पर्याप्त है।

क्या है सोपस्टोन?

इस बैटरी में इस्तेमाल होने वाला सोपस्टोन एक प्राकृतिक पत्थर है जो गर्मी को लंबे समय तक स्टोर कर सकता है और धीरे-धीरे इसे छोड़ता है। इसलिए यह हीटर, चूल्हे और अब बैटरी जैसी तकनीकों में काम आने लगा है। इसे घिसकर बनी रेत को सैंड बैटरी में इस्तेमाल किया जाता है।

थर्मल एनर्जी स्टोरेज सिस्टम

इस बैटरी में एक तरह का थर्मल एनर्जी स्टोरेज सिस्टम है। रेत को बहुत ज़्यादा तापमान पर गर्म करके इसमें स्टोर किया जाता है। जब ज़रूरत पड़ती है, तो यही गर्मी घरों को गर्म रखने और फैक्ट्रियों को ऊर्जा देने के लिए छोड़ी जाती है।

रीयूज़ेबल एनर्जी से काम करती है यह बैटरी

यह बैटरी रीयूज़ेबल एनर्जी से काम करती है। हीटर बहुत गर्म हवा बनाता है, जिसे बैटरी में भरी रेत में फूंका जाता है। इस प्रक्रिया से रेत का तापमान 500 से 600 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। रेत इतनी गर्मी लंबे समय तक स्टोर रख सकती है। ज़रूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जाता है।

प्रदूषण कम करने में मिलेगी मदद

सैंड बैटरी की गर्मी शहर के प्रदूषण को 70% तक कम करने में मददगार है। अभी फिनलैंड के शहरों में हीटिंग के लिए तेल और लकड़ी के टुकड़ों का इस्तेमाल होता था, जिन्हें यह बैटरी काफी हद तक रिप्लेस कर देगी। गर्मियों में यह बैटरी एक महीने की हीटिंग की ज़रूरत पूरी कर सकती है, जबकि सर्दियों में एक हफ्ते तक गर्मी दे सकती है। जिन देशों में ज्यादा ठंड पड़ती है, वहाँ यह कारगर है।

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