क्यों हो रहा है स्थानांतरण?
आर्कटिक सर्कल से 145 किमी उत्तर में स्थित किरुना शहर में एक सदी से अधिक समय से चल रहे लौह अयस्क खनन के कारण जमीन में दरारें पड़ रही हैं, जिससे पुराना सिटी सेंटर धंसने के खतरे में है। राज्य के स्वामित्व वाली खनन कंपनी एलकेएबी की खदान ने जमीन को कमजोर कर दिया है, जिससे पूरे शहर का अस्तित्व खतरे में है। इस कारण दशकों से चल रहे एक विशाल अभियान के तहत समूचा किरुना शहर नई जगह पर स्थानांतरित किया जा रहा है। हालांकि, इस अभियान में चर्च का स्थानांतरण स्थानीय लोगों के लिए सबसे शानदार और प्रतीकात्मक क्षण है। - कुल लागत: 500 मिलियन क्रोनर (लगभग 39 मिलियन पाउंड)
- चर्च की ऊंचाई: 35 मीटर (115 फीट)
- चौड़ाई: 40 मीटर
- वजन: 672 टन
- निर्माण वर्ष: 1912
- स्थानांतरण दूरी: 5 किमी
- गति: अधिकतम आधा किमी प्रति घंटा (पहले घंटे में केवल 30 मीटर)
- स्थानांतरण की अवधि: 2 दिन
- पूरे शहर के पुनर्वास की लागत: 10 बिलियन क्रोनर (1 बिलियन डॉलर, 737 मिलियन पाउंड)
ऐतिहासिक महत्व
1912 में निर्मित यह लकड़ी का चर्च न केवल किरुना की सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि स्वीडन के सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक भवनों में से एक है। इसके स्थानांतरण को देखने के लिए स्थानीय लोग और पर्यटक भारी संख्या में एकत्र हुए। यह प्रक्रिया न केवल इंजीनियरिंग का कमाल है, बल्कि शहर की विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।
क्या है चुनौतियां?
खनन गतिविधियों के कारण किरुना का पुराना सिटी सेंटर खतरे में है, और इस स्थानांतरण अभियान के तहत कई अन्य इमारतों को भी नई जगह पर ले जाया जा रहा है। चर्च का स्थानांतरण इस जटिल प्रक्रिया का सबसे चर्चित हिस्सा है। एलकेएबी कंपनी इस अभियान को वित्तपोषित कर रही है, और पूरे शहर के पुनर्वास पर 10 बिलियन क्रोनर से अधिक खर्च होने का अनुमान है।