रूस ने कीव पर जबरदस्त बैलेस्टिक मिसाइल हमला कर यूक्रेन के खिलाफ बदले की कार्रवाई की। ( फोटो: एएनआई)
Russia Ukraine War Death Toll 2025: रूस-यूक्रेन युद्ध अब तक लगभग 10 लाख जानें निगल चुका है (Russia Ukraine War Death Toll 2025),जिसमें सैनिकों और नागरिकों दोनों की जानें शामिल हैं। यह युद्ध अब 21वीं सदी का सबसे जानलेवा संघर्ष बन चुका है। नई रिपोर्ट्स में यह खुलासा हुआ है। रूसी और यूक्रेनी सेनाओं के बीच लगातार जारी संघर्ष में अप्रैल 2025 तक सिर्फ एक महीने में 209 नागरिक मारे गए, जिनमें 19 मासूम बच्चे शामिल हैं। ब्रिटैनिका और ICAN (Britannica and ICAN)के अनुसार, 1945 के अंत तक हिरोशिमा में लगभग 1,40,000 लोगों की मौत हुई थी। नागासाकी (Hiroshima Nagasaki) में यह संख्या करीब 74,000 थी। ये दोनों परमाणु हमले मानव इतिहास के सबसे विनाशकारी रहे। जबकि इज़राइल और हमास के बीच जारी संघर्ष (israel hamas war) में गाजा ( Gaza)में अब तक 62,614 फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है।
The evidence suggests that Russia has largely failed to achieve its primary objectives and has suffered high costs—Russia will likely hit the 1 million casualty mark in summer of 2025. It has suffered roughly five times as many fatalities in Ukraine as in all Russian and Soviet… pic.twitter.com/CaS9dGwJ79
यूक्रेन के लिए मानवीय संकट, रूस के लिए रणनीतिक थकावट
यूक्रेन की आबादी में लगभग 25% की गिरावट दर्ज की गई है। देश के करीब 60 लाख नागरिक विदेश पलायन कर चुके हैं। दूसरी तरफ रूस में करीब 198,000 सैनिकों की मौत और 5.5 लाख से अधिक घायल होने की पुष्टि हुई है। इसमें एक बड़ी संख्या उन सैनिकों की भी है जो ग्रामीण इलाकों से सेना में भर्ती हुए थे और जिनके परिवारों को अब राज्य द्वारा “कोफिन मनी” (दु:ख राहत राशि) दी जा रही है।
यूक्रेन की जंग: संख्या से नहीं, संकल्प से लड़ाई
यूक्रेन भले ही सैन्य संसाधनों में रूस से पीछे हो, लेकिन उसका मनोबल कायम है। राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने हाल ही में कहा कि “हम केवल सरहद नहीं, आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बचा रहे हैं।”
रूस की रणनीति: अंदरूनी मोर्चे पर बचाव, बाहर आक्रामक रुख
रूस ने पश्चिमी पाबंदियों के जवाब में स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा दिया है। देश में “मेड इन रशिया” ब्रांड्स तेजी से उभरे हैं, जिससे आर्थिक दबाव कुछ हद तक संभाला गया है। लेकिन युद्ध खर्च की वजह से वित्तीय तनाव बरकरार है।
वैश्विक सियासत और ताश का पत्ते
इस युद्ध ने वैश्विक राजनीति को भी हिला दिया है। नाटो, अमेरिका और यूरोपीय संघ ने यूक्रेन को सशस्त्र समर्थन दिया, जबकि रूस को चीन और ईरान जैसे देशों का सहयोग मिला है। दुनिया अब दो ध्रुवों में बंटी नज़र आ रही है।
पब्लिक रिएक्शन: ‘युद्ध कब खत्म होगा ?’
“हम थक चुके हैं, हर दिन खबर आती है किसी के बेटे की मौत की।” यूक्रेन के कीव निवासी “सरकारें खेल खेल रही हैं, और भुगत रही है आम जनता।”- मास्को का एक नागरिक।
फॉलो-अप: शांति वार्ता या नया मोर्चा ?
इस्तांबुल में संभावित शांति वार्ता की बात हो रही है, लेकिन जमीन पर युद्ध तेज हो रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2025 की गर्मियों तक निर्णायक बढ़त कोई पक्ष नहीं ले पाएगा।
साइड एंगल: ‘कोफिन मनी’- रूसी युद्ध नीति का कड़वा सच
रूस में मृत सैनिकों के परिवारों को दी जा रही 7 लाख से 1.5 करोड़ तक की आर्थिक सहायता ने युद्ध को एक ‘इकोनॉमिक ड्राफ्ट सिस्टम’ बना दिया है, जहां गरीब तबका सेना में भर्ती को मजबूरी मान रहा है।