कंपनी ने दिया ये तर्क
नियोक्ता ने तर्क दिया कि कर्मचारी को वेतन नहीं मिलना चाहिए, क्योंकि वह ड्यूटी पर नहीं आया और छुट्टी पर चला गया। हालांकि वेतन रिकॉर्ड और अनुबंध के दस्तावेज के आधार पर अदालत ने पाया कि जॉइनिंग में देरी नियोक्ता की गलती थी। कोर्ट ने दिया ये आदेश
अदालती कार्यवाही के दौरान कर्मचारी ने आठ दिन की छुट्टी लेने की बात स्वीकार की, जिसका वेतन काट लिया गया। अदालत ने चार माह और 18 दिन का करीब 26 लाख रुपए वेतन देने के आदेश दिए।
जानिए क्या है कानून
अबू धाबी श्रम न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि श्रम संबंधों को विनियमित करने वाले 2021 के संघीय डिक्री-कानून संख्या (33) के तहत, नियोक्ता मानव संसाधन और अमीरात मंत्रालय द्वारा अनुमोदित प्रणालियों के अनुसार समय पर मजदूरी का भुगतान करने के लिए बाध्य हैं। सिविल ट्रांजैक्शन कानून के अनुच्छेद 912 का हवाला देते हुए, अदालत ने फैसला सुनाया कि मजदूरी एक श्रमिक का अधिकार है और इसे बिना सबूत के रोका नहीं जा सकता है, जैसे कि लिखित छूट या कानूनी स्वीकृति।