चीन की रणनीति और ताइवान की रक्षा को लेकर चेतावनी
नाटो प्रमुख ने चेतावनी दी कि अगर चीन ताइवान के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई करता है, तो वह पहले रूस के जरिए यूरोप में नाटो को उलझाए रखेगा। ऐसे में ताइवान की सुरक्षा के लिए अमेरिका और सहयोगी देशों की भूमिका अहम होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि नाटो किसी भी हालत में “बाहर निकलने” का विकल्प नहीं चुन सकता।
बढ़ते रक्षा खर्च की तरफ इशारा
रूटे ने कहा कि मौजूदा हालात में नाटो सदस्य देशों को अपने रक्षा बजट को बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 2014 में तय किए गए 2% GDP वाले रक्षा खर्च लक्ष्य को अब नए शिखर सम्मेलन में 5% तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा जाएगा।
ताइवान-चीन विवाद: एक जटिल भू-राजनीतिक संघर्ष
ताइवान एक स्वतंत्र सरकार, अर्थव्यवस्था और सेना के साथ कार्य कर रहा है, जबकि चीन उसे अब भी अपना एक भाग मानता है। चीन की “एक चीन नीति” के तहत वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ताइवान को अलग-थलग करने की कोशिश करता है, और लगातार कूटनीतिक और सैन्य दबाव बनाता है।
बीजिंग ने ताइवान के साथ फिर से जुड़ने का अपना इरादा जाहिर किया
उल्लेखनीय रूप से, चीन ताइवान को एक अलगाववादी प्रांत मानता है और “एक चीन ” नीति को कायम रखता है, जो इस बात पर जोर देता है कि केवल एक चीन है, जिसकी राजधानी बीजिंग है। बीजिंग ने ताइवान के साथ फिर से जुड़ने के अपने इरादे को लगातार व्यक्त किया है , अंतरराष्ट्रीय मंच पर ताइवान को अलग-थलग करने के लिए कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य दबाव का इस्तेमाल किया है ।
वैश्विक स्तर पर चीन की बढ़ती सैन्य ताकत पर चिंता
नाटो प्रमुख मार्क रूटे की यह चेतावनी वैश्विक स्तर पर चीन की बढ़ती सैन्य ताकत को लेकर बढ़ती चिंताओं को दर्शाती है। यह कदम दर्शाता है कि वैश्विक सुरक्षा के लिए ताइवान का मुद्दा कितना संवेदनशील और महत्वपूर्ण है। चीन के सैन्य विस्तार को देखते हुए नाटो जैसे गठबंधन की सजगता भविष्य के संभावित संघर्षों को रोकने में सहायक हो सकती है।
ताइवान की सुरक्षा को लेकर पश्चिमी देशों की नीति
आने वाले महीनों में देखना होगा कि नाटो और एशियाई सहयोगी देश चीन के सैन्य विस्तार को कैसे काबू में रखने के लिए रणनीतियाँ बनाते हैं। इसके अलावा, ताइवान की सुरक्षा को लेकर अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की नीति में क्या बदलाव आते हैं, यह भी महत्वपूर्ण रहेगा। क्या नाटो और उसके साझेदार चीन के खिलाफ और मजबूत सैन्य सहयोग स्थापित करेंगे?
नाटो के लिए अब एक बहुआयामी रणनीति जरूरी
चीन के बढ़ते सैन्य प्रभाव के बीच, ताइवान-चीन विवाद के साथ-साथ रूस और पश्चिम के बीच तनाव भी वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव डाल रहा है। नाटो के लिए अब एक बहुआयामी रणनीति अपनाना जरूरी है जो न केवल एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में, बल्कि यूरोप में भी सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर सके। यह द्विपक्षीय और वैश्विक सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ा टेस्ट होगा।