चीनी कंपनियां कर सकती हैं भारत में निवेश
सूत्रों के मुताबिक, चीन ने इन वस्तुओं की आपूर्ति शुरू कर दी है। भारत दौरे पर आए यी ने जयशंकर को भरोसा दिलाया कि भारत की मांगें पूरी कर दी गई हैं। भारत भी चीनी कंपनियों के भारत में निवेश के दरवाजे खोल सकता है जो गलवान प्रकरण से पैदा हुए सीमा विवाद के बाद बंद कर दिए गए थे। अमरीका के टैरिफ वॉर शुरू करने के बाद से चीन कई बार भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा चुका है। चीनी सरकारी मीडिया ड्रैगन और हाथी (चीन और भारत) के साथ-साथ डांस करने की संभावना व्यक्त करता रहा है।
तीन क्षेत्रों को ऐसे मिलेगी राहत
उर्वरक: चीन के प्रतिबंध से रबी सीजन में जरूरी डीएपी खाद की उपलब्धता पर असर पड़ा था। आपूर्ति शुरू होने से किसानों को राहत मिलेगी। दुर्लभ पृथ्वी खनिज: ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पर असर पड़ रहा था। प्रतिबंध खुलने से मांग-आपूर्ति का अंतराल कम होगा। इन उद्योगाें को बढ़ावा मिलेगा सुरंग खोदने वाली मशीनें: मेट्रो, सड़क और अन्य बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट इन मशीनों की कमी से प्रभावित हो रहे थे। आपूर्ति शुरू होने से इन प्रोजेक्ट में तेजी आएगी।
डोभाल-यी मुलाकात, चीन ने कहा – सीमा पर स्थिरता बहाल
भारत दौरे पर आए चीनी विदेश मंत्री यी और देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बीच हैदराबाद हाउस में मंगलवार को 24वीं ‘स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव’ वार्ता हुई। डोभाल के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक के दौरान यी ने कहा कि हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि अब सीमाओं पर स्थिरता बहाल हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में हमें जो असफलताएं झेलनी पड़ीं, वे हमारे हित में नहीं थीं। वार्ता में दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मौजूदा हालात की समीक्षा की। तनाव के कुछ इलाकों से सैन्य टुकड़ियों की आंशिक वापसी हो चुकी है, लेकिन पूर्वी लद्दाख में अब भी 50 से 60 हजार सैनिक तैनात हैं।दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने पर जोर दिया और कॉन्फिडेंस-बिल्डिंग के नए उपायों पर चर्चा की।
अमरीकी टैरिफ के बाद करीब आए चीन-भारत
विशेषज्ञों का कहना है कि तीन अहम वस्तुओं पर प्रतिबंध हटाने का कदम भारत-चीन संबंधों में भरोसा बहाल करने की दिशा में सकारात्मक संकेत है। प्रतिबंध हटने से दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूती मिलने की संभावना है। चीन ने यह फैसला ऐसे समय किया है जब अमरीका के साथ भारत की व्यापार वार्ता खटाई में पड़ गई है। अमरीका भारत के प्रति चीन के मुकाबले अधिक कड़ा रुख अपना रहा है। अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप व शीर्ष अमरीकी अधिकारी लगातार रूस के साथ संबंधों को लेकर भारत की आलोचना कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाने की घोषणा की है। भारत और चीन ने पिछले वर्ष अक्टूबर में विवादित हिमालयी सीमा पर तनाव कम करने के लिए गश्त व्यवस्था पर सहमति व्यक्त की थी। तब से दोनों पक्षों ने संबंधों को सामान्य बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें इस साल चीन द्वारा भारतीय तीर्थयात्रियों को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के प्रमुख स्थलों की यात्रा की अनुमति देना भी शामिल है। भारत ने चीनी पर्यटकों के लिए वीजा सेवाएं भी फिर से शुरू कर दी है और सीमा व्यापार खोलने के लिए बातचीत फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है। इस वर्ष दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर शुरू हो जाएंगी।
मोदी की चीन यात्रा का तैयार हो रहा आधार
- दोनों तरफ से सकारात्मक कदमों से मोदी की सात वर्षों में पहली चीन यात्रा के लिए आधार तैयार हो रहा है। मोदी 31 अगस्त से शुरू हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
- मोदी चीन यात्रा के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं, हालांकि अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं।
- मोदी की चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों में सीधी विमान सेवा शुरू होने की हो सकती है घोषणा