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आतंकी हमला : तीन हमलावर मारे गए, एक पुलिस कांस्टेबल शहीद,पाकिस्तानी आतंकवादियों का आतंक

Bannu Terrorist Attack Pakistan: बन्नू में आतंकियों ने पुलिस चेक पोस्ट पर हमला किया, जिसे सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया। इस हमले में तीन आतंकवादी मारे गए और एक कांस्टेबल शहीद हुआ।

भारतAug 03, 2025 / 02:02 pm

M I Zahir

Bannu Terrorist Attack Pakistan: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत(Khyber Pakhtunkhwa Violence) के बन्नू जिले में स्थित फतहखेल पुलिस चेक पोस्ट पर आतंकवादियों ने हमला (Bannu Terrorist Attack Pakistan) किया, जिसे पाकिस्तान पुलिस बलों ने नाकाम कर दिया। इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी (Pakistan Militants Killed) मारे गए, जबकि एक पुलिस कांस्टेबल, नियाज़ की शहादत हो गई। हमले में तीन अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। आतंकवादियों ने हमले के दौरान भारी हथियारों का इस्तेमाल किया था। हमले के बाद, सुरक्षा बलों ने इलाके को सुरक्षित किया और मारे गए आतंकवादियों के शवों को कब्जे में लिया। इसके तुरंत बाद, क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी और जिला पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में तलाशी अभियान भी शुरू किया गया, जो अभी भी जारी है।

लोगों को देशभक्ति के नारे लगाते हुए देखा गया

स्थानीय निवासियों को देशभक्ति के नारे लगाते हुए देखा गया जैसे “कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाए और पुलिस की त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया की सराहना की। उल्लेखनीय है कि 22 अप्रेल को भी ऐसी ही एक घटना हुई थी, जब केपी पुलिस ने बन्नू में धारे पुल पुलिस चौकी पर एक आतंकवादी हमला नाकाम कर दिया था । केंद्रीय पुलिस कार्यालय (सीपीओ) के अनुसार, 18 से 19 आतंकवादियों ने, जिनमें से कुछ मोटरसाइकिल पर सवार थे और कुछ चौकी की ओर रेंगते हुए आ रहे थे, एक समन्वित हमले की कोशिश की, जिसे अंततः सतर्क पुलिसकर्मियों ने नाकाम कर दिया।

फतहखेल चेक पोस्ट पर हुआ था हालिया हमला

कुछ अरसा पहले फतहखेल चेक पोस्ट पर हुआ हालिया हमला भी शामिल है, उन्होंने सुरक्षा को लेकर जनता की चिंता बढ़ा दी है, जैसा स्थानीय सभा में भी दिखा। पकिस्तान का बाजौर जिला. खामा प्रेस के अनुसार, सभा ने तहरीक-ए-तालिबान से आग्रह किया कि पाकिस्तान के खैबर -पाक प्रांत में लगातार हो रही हिंसा और अस्थिरता के कारण बढ़ती निराशा को उजागर करते हुए, पाकिस्तान के खैबर-पाक प्रांत में टीटीपी के लड़ाकों को क्षेत्र छोड़कर अफगानिस्तान लौटने के लिए कहा गया है।

तहरीक-ए-तालिबान ने जिरगा बुलाई

पाकिस्तान के बाजौर जिले ने तहरीक-ए-तालिबान के आह्वान पर एक जिरगा बुलाई है। खामा प्रेस के अनुसार, पाकिस्तान के खैबर -पाक प्रांत (टीटीपी) के लड़ाकों को क्षेत्र छोड़कर अफगानिस्तान लौटने के लिए कहा गया है। यह कदम खैबर -पाक प्रांत में हिंसा और असुरक्षा के कारण बढ़ती जनता की हताशा को दर्शाता है।

पहले अफगानिस्तान में अपने कमांडरों से परामर्श करें

डॉन समाचार पत्र के अनुसार, यह शांति सभा शुक्रवार, 1 अगस्त को हुई। समुदाय के बुजुर्गों और नेताओं ने उग्रवादियों से आग्रह किया कि वे जिरगा की मांग पर प्रतिक्रिया देने से पहले अफगानिस्तान में अपने कमांडरों से परामर्श करें।

इस क्षेत्र में दैनिक जीवन प्रभावित

रिपोर्टों के अनुसार, जिरगा के दौरान कई टीटीपी सदस्य मौजूद थे, जिससे स्थानीय लोगों और उन लड़ाकों के बीच एक असामान्य लेकिन प्रत्यक्ष संवाद उजागर हुआ, जिन्होंने लंबे समय से इस क्षेत्र में दैनिक जीवन को बाधित किया हुआ है।

जिरगा ने नए आंदोलन प्रतिबंधों का पालन किया

बाजौर में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की तैनाती, उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में बढ़ती झड़पों को रोकने और व्यवस्था बहाल करने के प्रयासों का हिस्सा है।

जिरगा ने सुरक्षा बलों के प्रति समर्थन जताया

खामा प्रेस के अनुसार, स्थानीय निवासियों ने बैठक में सार्वजनिक रूप से सुरक्षा बलों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया तथा आतंकवादियों की वापसी का आह्वान किया तथा इस बात पर जोर दिया कि शांति और स्थिरता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

पहले जिरगा में भी टीटीपी लड़ाकों से यही अपील की गई थी

समुदाय के बुजुर्ग, राजनीतिक प्रतिनिधि, पार्टी पदाधिकारी और पश्तून तहफुज मूवमेंट (पीटीएम) के कार्यकर्ता भी उपस्थित थे, जिससे जिरगा के संदेश को वजन और वैधता मिली। यह इस तरह की पहली पहल नहीं थी। इससे पहले तिराह में आयोजित एक ऐसी ही जिरगा में भी टीटीपी लड़ाकों से यही अपील की गई थी कि वे वहाँ से चले जाएँ। इससे ख़ैबर पाक के तुनख्वाह में इस समूह की मौजूदगी को ख़त्म करने की माँग को लेकर एक व्यापक जनांदोलन का पता चलता है।

जिरगाओं को आह्वान महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत

इसके बावजूद खामा प्रेस के अनुसार, पाकिस्तान का यह दावा कि टीटीपी नेतृत्व सीमा पार से संचालित होता है, तालिबान लगातार इस समूह के नेताओं या लड़ाकों को शरण देने से इनकार करता रहा है। स्थानीय जिरगाओं की ओर से बार-बार किए जा रहे आह्वान एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।

सीधे तौर पर उग्रवादियों पर दबाव

बहरहाल उग्रवाद से त्रस्त समुदाय अब केवल राज्य की कार्रवाई का इंतजार नहीं कर रहे हैं, वे सीधे तौर पर उग्रवादियों पर दबाव डाल रहे हैं, तथा अपनी सुरक्षा, स्थिरता और अपने भविष्य पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहे हैं।

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