scriptकरेंसी से फोटो हटने के बाद अब बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान स्वतंत्रता सेनानी भी नहीं! जानिए क्या है सच | After the removal of the photo from the currency, Bangabandhu Sheikh Mujibur Rahman is no longer a freedom fighter! Know the truth | Patrika News
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करेंसी से फोटो हटने के बाद अब बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान स्वतंत्रता सेनानी भी नहीं! जानिए क्या है सच

Sheikh Mujibur Rahman Liberation Fighter Status: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने नया अध्यादेश जारी कर 400 से अधिक लोगों का ‘स्वतंत्रता सेनानी’ का दर्जा रद्द कर दिया है।

भारतJun 04, 2025 / 04:42 pm

M I Zahir

Sheikh Mujibur Rahman Liberation Fighter Status

ढाका में लोग बिजॉय सरानी इलाके में शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा पर चढ़ गए। (फोटो: एएनआई)

Sheikh Mujibur Rahman Liberation Fighter Status: बांग्लादेश की मुहम्मद यूनुस (Mohammad Yunus) के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने 1971 के मुक्ति संग्राम में योगदान देने वाले 400 से अधिक प्रमुख व्यक्तियों का ‘स्वतंत्रता सेनानी’ (बीर मुक्तिजोद्धा) का दर्जा रद्द कर दिया (Sheikh Mujibur Rahman Liberation Fighter Status Revoked) है ! सबसे चौंकाने वाला नाम है -बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman), जिन्हें बांग्लादेश का राष्ट्रपिता ( Father of Bangladesh) माना जाता है। आईएएनएस ने यह खबर दी है। नई परिभाषा के तहत केवल वे लोग शामिल होंगे जिन्होंने युद्ध में सीधे भाग लिया था। दूसरी ओर समाचार एजेंसी एएनआई ने यूनुस के उप प्रेस सचिव के हवाले से इसका खंडन किया है।

नए अध्यादेश में बदली ‘स्वतंत्रता सेनानी’ की परिभाषा

आईएएनएस के मुताबिक मंगलवार रात को जारी एक नए राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी परिषद अधिनियम संशोधन अध्यादेश में इस दर्जे की परिभाषा को सख्त किया गया है। अब केवल वही लोग स्वतंत्रता सेनानी कहलाएंगे जिन्होंने 26 मार्च से 16 दिसंबर 1971 के बीच पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सीधा युद्ध लड़ा या भारत में सैन्य प्रशिक्षण लेकर भाग लिया।

मुजीबनगर सरकार के नेताओं को घटा कर ‘सहयोगी’ बना दिया गया

अध्यादेश में कहा गया है कि मुजीबनगर सरकार से जुड़े सदस्य, जैसे कि राष्ट्रीय और प्रांतीय सभा के सदस्य या संविधान सभा के सदस्य, अब ‘मुक्ति संग्राम सहयोगी’ कहे जाएंगे, न कि स्वतंत्रता सेनानी। यह श्रेणी अलग मानी जाएगी और स्वतंत्रता सेनानी से कम मानी जा रही है।

विदेशी योगदानकर्ता और अन्य वर्गों को मिला नया दर्जा

नई परिभाषा के तहत, अब ऐसे पेशेवरों, पत्रकारों, चिकित्सकों, नर्सों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया है, जिन्होंने विदेशों से जनमत बनाकर या सेवाएं देकर मुक्ति संग्राम में योगदान दिया। स्वाधीन बांग्ला बेतार केंद्र और स्वाधीन बांग्ला फुटबॉल टीम जैसे प्रतीकों को भी इस श्रेणी में रखा गया है।

शेख मुजीब का नाम हटाया गया, इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश ?

अध्यादेश में न केवल बंगबंधु का नाम ‘स्वतंत्रता सेनानी’ की सूची से हटाया गया, बल्कि उनका उल्लेख पहले जहां-जहां कानून में था, वहां से भी हटा दिया गया है। यह निर्णय बांग्लादेश की राजनीति में आलोचना और असंतोष का नया कारण बन रहा है।

रिएक्शन : पूरे बांग्लादेश में गूंज उठा सवाल – क्या इतिहास मिटाया जा रहा है?

आम जनता का गुस्सा: बांग्लादेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #MujibIsOurHero और #RespectLiberationWar टॉप ट्रेंड कर रहे हैं। लोगों ने सरकार पर इतिहास से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया।
राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया: आवामी लीग और अन्य प्रगतिशील दलों ने इस कदम को “राष्ट्र विरोधी” बताते हुए विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

अंतरराष्ट्रीय चिंता: भारत और अन्य पड़ोसी देशों के विश्लेषकों ने भी इस फैसले पर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि शेख मुजीब का योगदान 1971 की जंग में “अस्वीकार्य रूप से अनदेखा” किया गया है।

फॉलोअप : आगे क्या हो सकता है ?

सुप्रीम कोर्ट में चुनौती: यह अध्यादेश जल्द ही बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत में संवैधानिक चुनौती बन सकता है।

सड़क पर संघर्ष: छात्र संगठनों, इतिहासकारों और संस्कृतिकर्मियों द्वारा देशव्यापी आंदोलन की तैयारी की जा रही है।
बांग्लादेश-भारत संबंधों पर असर: शेख मुजीब भारत-बांग्लादेश मित्रता के मूल स्तंभ रहे हैं। यह कदम राजनयिक तनाव को जन्म दे सकता है।

सरकार की आधिकारिक सफाई: अफवाहों को बताया बेबुनियाद

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने स्पष्ट किया है कि बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान का स्वतंत्रता सेनानी (वीर मुक्तिजोद्धा) का दर्जा रद्द नहीं किया गया है। मंगलवार रात को जारी अध्यादेश के बाद मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि मुजीब समेत कई नेताओं का दर्जा रद्द कर दिया गया है, जिसे अब सरकार ने खारिज किया है।

मुख्य सलाहकार के उप प्रेस सचिव ने दी जानकारी

एएनआई के मुताबिक मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के उप प्रेस सचिव आज़ाद मजूमदार ने समाचार एजेंसी ANI को बताया, “जमुका अधिनियम में संशोधन का यह मतलब नहीं है कि शेख मुजीब का दर्जा खत्म कर दिया गया है। वह और मुजीबनगर सरकार के नेता अब भी स्वतंत्रता सेनानी हैं।”

सरकारी स्पष्टीकरण में बताया गया नया वर्गीकरण

मुक्ति संग्राम मामलों के मंत्रालय के सलाहकार फारुक-ए-आजम ने कहा कि मुजीबनगर सरकार के नेताओं को अब भी स्वतंत्रता सेनानी माना जाएगा। हालांकि, उस समय के सरकारी अधिकारी, कर्मचारी और तकनीकी सहयोगियों को ‘मुक्ति संग्राम सहयोगी’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

चार नई श्रेणियां बनाई गईं

अधिकारिक तौर पर अब ‘स्वतंत्रता संग्राम’ में योगदान देने वालों को चार श्रेणियों में बांटा गया है:

विदेश में जनमत तैयार करने वाले पेशेवर।

मुजीबनगर सरकार के अधीन अधिकारी-कर्मचारी।
स्वाधीन बांग्ला रेडियो और पत्रकार।

स्वाधीन बांग्ला फुटबॉल टीम।

सरकार ने कहा-‘सहयोगी’ का मतलब अपमान नहीं है

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने स्पष्ट किया कि ‘मुक्ति संग्राम सहयोगी’ शब्द सम्मान को घटाने के लिए नहीं है, बल्कि यह अलग प्रकृति के योगदान को मान्यता देने का प्रयास है।

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