‘प्लान बी’
रिपोर्ट के अनुसार मिलियनेयर्स के लिए ऐसा करना सिर्फ ‘माइग्रेशन’ नहीं, बल्कि एक ’प्लान बी’ भी है। जरूरी नहीं कि अमीर लोग अपने देश को छोड़कर चले जाएं, बल्कि दूसरे देशों में सिर्फ रेजिडेंसी या नागरिकता का विकल्प तैयार कर रहे हैं, जिससे वो भविष्य की अनिश्चितताओं से निपट सकें।
यूएई और अमेरिका हैं पसंदीदा ऑप्शंस
मिलियनेयर्स के लिए यूएई (United Arab Emirates) और अमेरिका (United States Of America) पसंदीदा ऑप्शंस हैं। यूएई का नो इनकम टैक्स, राजनीतिक स्थिरता, इंफ्रास्ट्रक्चर और गोल्डन वीज़ा प्रोग्राम इस पलायन का बड़ा कारण है। वहीं, अमेरिका की ईबी-5 इन्वेस्टर वीज़ा स्कीम, जिसके ज़रिए अब तक 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश आ चुका है, हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल को आकर्षित कर रही है। भारत को भी छोड़ने की तैयारी में दौलतमंद
ब्रिटेन से इस साल करीब 16,500 मिलियनेयर्स दूसरे देशों में रेजिडेंसी लेने जा रहे हैं, जो कि इतिहास का सबसे बड़ा ‘वेल्थ आउटफ्लो’ होगा। चीन (China) से करीब 7,800 मिलियनेयर्स, भारत (India) से करीब 3,500 मिलियनेयर्स, साउथ कोरिया (South Korea) से करीब 2,400 मिलियनेयर्स दूसरे देशों की रेजिडेंसी लेने की तैयारी में हैं। इसके अलावा फ्रांस (France), स्पेन (Spain) और जर्मनी (Germany) से भी बड़ी संख्या में मिलियनेयर्स दूसरे देशों में बसने की प्लानिंग कर रहे हैं।