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200 साल पुराना ‘लक्ज़री कंडोम’ म्यूज़ियम में प्रदर्शित, भेड़ के अंग से बना था यह गर्भ निरोधक

200-year-old condom exhibition Netherlands: इतिहास में पहली बार, यौन संबंध और कला का एक अलग उदाहरण सामने आया है।

भारतJun 04, 2025 / 08:15 pm

M I Zahir

Rijks museum condom exhibition

रीक्स म्यूजियम प्रदर्शनी में कुछ अलग तरह की चीजें प्रदर्शित की गई हैं। (फोटो: वाशिंगटन पोस्ट)

200-year-old condom exhibition Netherlands: एम्स्टर्डम के प्रतिष्ठित डच रीक्स म्यूजियम (Dutch museum exhibit) में 200 साल पुराना कंडोम (200-year-old condom) प्रदर्शित किया गया है, जिसे भेड़ के अपेंडिक्स से बनाया गया था। इसमें नन और पादरियों की कामुक नक्काशी है, जिसमें नन और पादरियों की चित्रित नक्काशी के साथ कंडोम (Condom) साल पुराना ‘लक्ज़री कंडोम’ म्यूज़ियम में प्रदर्शित, भेड़ के अंग से बना था यह गर्भ निरोधक (sheep appendix condom) प्रदर्शित किए गए हैं। यह इतिहास, कला और सेक्स शिक्षा का अनूठा मेल (historic contraception) दर्शाती है। यह न केवल सेक्स इतिहास की झलक देता है, बल्कि उस दौर के समाज, नैतिकता और कला की परतें खोलता है।

यह कंडोम उस दौर की विलासिता और सामाजिक विरोधाभास भी दर्शाता है

वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार संग्रहालय में प्रदर्शनी का हिस्सा बना यह कंडोम उस दौर की विलासिता और सामाजिक विरोधाभास भी दर्शाता है। यह कंडोम 1830 के आस-पास का बताया जा रहा है और माना जाता है कि यह पेरिस के किसी हाई-एंड वेश्यालय से आया है। इसे अब ‘लक्ज़री स्मारिका’ की तरह रीक्स म्यूजियम के “सेफ सेक्स” नामक प्रदर्शनी में रखा गया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस पर एक नग्न नन और तीन पादरियों की बहुत कामुक नक्काशी की गई है, जो इस आइटम को केवल गर्भ निरोधक नहीं, बल्कि एक व्यंग्यात्मक कला का रूप भी देती है।

कंडोम पर पेरिस के ग्रीक मिथक भी

कंडोम पर उकेरी गई है एक दिलचस्प कहानी, जिस पर पेरिस के ग्रीक मिथक का भी संदर्भ मिलता है। म्यूज़ियम की क्यूरेटर जॉयस ज़ेलेन के मुताबिक, यह नक्काशी ग्रीक माइथोलॉजी के ‘पेरिस के निर्णय’ जैसी है, जिसमें एक ट्रोजन राजकुमार को तीन देवियों में से सबसे सुंदर को चुनना होता है। ज़ेलेन कहती हैं, “इससे यह भी संकेत मिलता है कि जिसने यह कंडोम खरीदा, वह शायद बहुत शिक्षित और कलाप्रेमी व्यक्ति रहा होगा।”

हार्लेम की नीलामी में खरीदा गया था 20 सेंटीमीटर लंबा गर्भ निरोधक

जानकारी के मुताबिक पिछले नवंबर में यह कंडोम हार्लेम की एक नीलामी में 90,000 से 92,000 भारतीय रुपये के बीच में खरीदा गया था। इसे अब कांच के केस में रखा गया है और यह पूरी प्रदर्शनी का सबसे चर्चित केंद्र बन गया है, जिसमें डच और फ्रेंच कलाकारों के सेक्स वर्क और यौन स्वास्थ्य से जुड़े प्रिंट और चित्र शामिल हैं।

उन्नीसवीं सदी में जानवरों की झिल्लियों, कछुए के खोल और लिनन से बनते थे कंडोम

जानकारी के अनुसार सन 1839 में वल्केनाइज्ड रबर के आने से पहले कंडोम बनाना एक शिल्प जैसा था। उस समय जानवरों की झिल्लियां, लिनन और यहां तक कि कछुए का खोल तक काम में लाया जाता था। इनका इस्तेमाल यौन रोगों से सुरक्षा या गर्भधारण रोकने के लिए तो किया जाता था, लेकिन इनकी प्रभावशीलता बहुत कम मानी जाती थी।

चर्च के प्रतिबंध के बावजूद, इन वस्तुओं की गुप्त रूप से बिक्री होती थी

ज़ेलेन ने बताया कि “उस दौर में चर्च ने कंडोम पर कड़ा प्रतिबंध लगा रखाथा, लेकिन ये आइटम वेश्यालयों, नाई की दुकानों और यहां तक कि लग्जरी दुकानों में ‘कस्टम ऑर्डर’ पर मिलते थे।”

UV लाइट से जांच में खुलासा: शायद कभी इस्तेमाल नहीं हुआ था यह कंडोम

इस ऐतिहासिक कंडोम की लंबाई करीब 20 सेंटीमीटर है और UV लाइट में जांच के दौरान यह संकेत मिला कि इसका शायद कभी उपयोग नहीं हुआ। यानी यह कंडोम वास्तव में एक प्रचारक वस्तु रहा होगा।

नक्काशी के पात्रों से बना रहस्य: आखिर नन किसकी ओर इशारा कर रही है?

एक चित्र में नन तीन पादरियों में से किसी एक की ओर इशारा कर रही है — एक गंजा, एक पतला और एक मोटा आदमी। ज़ेलेन कहती हैं, “यह इसलिए भी खास है क्योंकि इससे हर आदमी अपने-आप को चित्र से जोड़ सकता है। यह उस दौर की सेक्सुअल पॉलिटिक्स का बेहतरीन उदाहरण है।”

डच सोशल मीडिया पर कंडोम प्रदर्शनी को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं

डच सोशल मीडिया पर इस ऐतिहासिक कंडोम की प्रदर्शनी को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। एक वर्ग इसे सेक्स पॉजिटिव इतिहास को समझने की दिशा में क्रांतिकारी कदम बता रहा है, जबकि दूसरे वर्ग ने इसे “धार्मिक भावनाओं के खिलाफ” और “अनुचित कला” बताया है। डच चर्च संगठन के प्रवक्ता ने कहा, “ऐसी वस्तुएं संग्रहालय में रखने का मतलब केवल दर्शकों को चौंकाना नहीं, बल्कि धर्म और नैतिकता को अपमानित करना भी हो सकता है।”

रीक्स म्यूजियम ने कहा, “शिक्षात्मक उद्देश्य” से कंडोम प्रदर्शित कर रहे

इस विवादास्पद प्रदर्शनी के बाद अब रीक्स म्यूजियम ने स्पष्ट किया है कि वे “शिक्षात्मक उद्देश्य” से ही इस कंडोम प्रदर्शित कर रहे हैं। साथ ही, संग्रहालय ने यह भी बताया कि प्रदर्शनी देखने वालों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है। संभावना है कि अब संग्रहालय भविष्य में यौन स्वास्थ्य और सेक्स वर्क पर आधारित एक स्थायी गैलरी की भी योजना बना सकता है।

‘लक्ज़री कंडोम’ उस दौर में धनाढ्य वर्ग के लिए स्टेटस सिंबल बन गए थे

इतिहासकारों के अनुसार, ऐसे ‘लक्ज़री कंडोम’ उस दौर में धनाढ्य वर्ग के लिए स्टेटस सिंबल बन चुके थे। ये न केवल उपयोग की वस्तुएं थीं बल्कि संग्रहणीय कलात्मक स्मृति चिह्नों की तरह बेचे जाते थे — जैसे आज की दुनिया में लोग लिमिटेड एडिशन घड़ियां या पेन रखते हैं।

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