तस्करों का पीछा करते समय गई थी जान
रिकोशा गांव (ताड़ीखेत ब्लॉक) के निवासी प्रेम सिंह बीएसएफ की 57वीं बटालियन में सामान्य ड्यूटी पर थे। पश्चिम बंगाल के जलांगी, रोशनबाग सीमा चौकी पर तैनात इस वीर जवान को, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बांग्लादेशी तस्करों की घुसपैठ रोकने के लिए दो अन्य जवानों के साथ भेजा गया था। मुठभेड़ के दौरान तस्करों की नौका का साहसपूर्वक पीछा करते हुए प्रेम सिंह ने दुश्मनों का डटकर सामना किया, मगर वीरगति को प्राप्त हो गए।
नदी में मिला था पार्थिव शरीर
तत्कालीन सर्च ऑपरेशन में अगले दिन पद्मा नदी से उनका पार्थिव शरीर बरामद हुआ, लेकिन उनकी शहादत को औपचारिक मान्यता नहीं मिल सकी। पत्नी गुड्डी देवी रावत और भाई धन सिंह रावत ने वर्षों तक उम्मीद का दामन थामे रखा। अंततः डीजी बीएसएफ और बल के प्रयासों से इस जांबाज सपूत को वह सम्मान मिला, जिसके वह हकदार थे।
घर जाकर सौंपा गया प्रमाणपत्र
कमांडेंट ऑफिसर दिनेश सिंह ने सशस्त्र सीमा बल की ओर से हल्द्वानी स्थित प्रेम सिंह के घर जाकर वीरांगना और परिवार को ‘ऑपरेशनल कैजुअल्टी प्रमाणपत्र’ सौंपा। इस अवसर पर उनका बेटा सूर्यप्रताप सिंह रावत और भाई भी मौजूद रहे। पूरे गांव में गर्व और श्रद्धा का भाव व्याप्त हो गया, और अनेक की आंखें भीग गईं। बीएसएफ ने प्रेम सिंह के बलिदान को ससम्मान याद करते हुए परिवार को हरसंभव सहयोग का भरोसा दिया। यह प्रमाणपत्र सिर्फ शहीद को श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि राष्ट्र की ओर से यह स्वीकार करना भी है कि जो मिट जाते हैं वतन की खातिर, उनका कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता।