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वक्फ : सिविल लाइंस में करोड़ों की प्रापर्टी के कूटरचित दस्तावेजों से की हेराफेरी, नगर निगम से फाइल गायब

सिविल लाइंस में करोड़ों की वक्फ प्रापर्टी के फर्जी दस्तावेज तैयार कर नामांतरण में हेराफेरी कर नगर निगम में अपना नाम दर्ज करवा लिया। इसके बाद नगर निगम से फाइल गायब कर दी। मामले की शिकायत एसपी सिटी से की गई। एसपी सिटी के आदेश पर कोतवाली में तीन नामजद और अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

May 11, 2025 / 06:43 pm

Avanish Pandey

यूसुफ जमाल

बरेली। सिविल लाइंस में करोड़ों की वक्फ प्रापर्टी के फर्जी दस्तावेज तैयार कर नामांतरण में हेराफेरी कर नगर निगम में अपना नाम दर्ज करवा लिया। इसके बाद नगर निगम से फाइल गायब कर दी। मामले की शिकायत एसपी सिटी से की गई। एसपी सिटी के आदेश पर कोतवाली में तीन नामजद और अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
सिविल लाइंस निवासी मुतवल्ली बरकत नबी खान ने नगर निगम में शिकायत की। इसमें आरोप है कि है कि अलीगढ़ निवासी यूसुफ जमाल पुत्र स्वर्गीय जमाल अख्तर अजीज ने अन्य लोगों के साथ मिलकर सुनियोजित षड्यंत्र कर वक्फ संपत्ति को हड़पने का प्रयास किया। जबकि वर्ष 1944 से यह संपत्ति नगर निगम बरेली के अभिलेखों में वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज है। इसके मुतवल्ली द्वारा ही इसका संचालन व देखरेख की जाती रही है।

नगर निगम में सांठगांठ कर वक्फ संपत्ति में दर्ज कराया नाम

अलीगढ़ में धोधपुर के रहने वाले यूसुफ जमाल ने गनपतराय बागला पुत्र बीएस बागला, निवासी राधेश्याम एन्क्लेव, सिविल लाइंस, लखनऊ निवासी नासिर सईद पुत्र अहमद सईद समेत कुछ अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए। इन दस्तावेजों के आधार पर उन्होंने नगर निगम बरेली के कुछ कर्मचारियों से मिलीभगत करते हुए वक्फ संपत्ति में अपना नाम दर्ज करा लिया। इस पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए नगर निगम की मूल पत्रावली को ही कार्यालय से गायब करवा दिया गया, जिससे यह साबित करना कठिन हो गया कि संपत्ति पर किसका वैध स्वामित्व है।

क्षत्रिय महासभा के नेता व डाक्टर फैमिली की भूमिका

जब इस पूरे प्रकरण की भनक वक्फ मुतवल्ली को लगी तो उन्होंने तत्काल नगर निगम में शिकायत दर्ज कराई। नगर निगम प्रशासन ने प्राथमिक जांच के उपरांत यूसुफ जमाल का नाम रिकॉर्ड से हटाते हुए संपत्ति को वक्फ के नाम दर्ज कर लिया। मुतवल्ली का आरोप है कि इस षडयंत्र के पीछे एक डाक्टर के परिवार के क्षत्रिय महासभा के नेता हैं। आरोपियों की उनसे साठगांठ हैं। उनके इशारे पर ही वक्फ की संपत्ति को खुर्द बुर्द किया जा रहा है। इसमें नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं। जिनके जरिये फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया। क्षत्रिय महासभा के नेता ने कुछ प्रापर्टी पर कब्जा करने की कोशिश की है। उन्होंने एक मकान की बाउंड्री तोड़कर कुछ हिस्से को अपने में मिला लिया है।

जांच में फंसेगे निगम के कई अफसर

इस घटना से नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। इस प्रकार अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ की छूट नगर निगम में दी जाएगी, तो न केवल वक्फ संपत्तियों बल्कि आम नागरिकों की जमीनें भी सुरक्षित नहीं रह जाएंगी। अब निगाहें जिला प्रशासन और वक्फ बोर्ड पर टिकी हैं कि वे इस गंभीर प्रकरण में कितनी तत्परता और पारदर्शिता से कार्रवाई करते हैं। वहीं नगर निगम की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच की मांग भी जोर पकड़ रही है।

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