scriptSanskrit Day: देवभाषा का भविष्य संकट में! प्राचार्य और शिक्षक नदारद, शोध भी अधरझूल में, जानें पूरा सच | Sanskrit Day: How will the Dev Bhasha develop… Principal and teachers are absent, research is also in limbo, know the whole truth | Patrika News

Sanskrit Day: देवभाषा का भविष्य संकट में! प्राचार्य और शिक्षक नदारद, शोध भी अधरझूल में, जानें पूरा सच

राजस्थान का जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय और प्रदेश के सरकारी संस्कृत महाविद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। इससे सरकार के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है।

Aug 09, 2025 / 09:14 am

anand yadav

Sanskrit Day Special : राजस्थान सरकार भले ही संस्कृत दिवस मनाकर भाषा के विकास और उत्थान के दावे करती है, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे कोसों दूर है। राजस्थान का जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय और प्रदेश के सरकारी संस्कृत महाविद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। इससे सरकार के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। संस्कृत शिक्षा विभाग के अधीन प्रदेश में 51 सरकारी संस्कृत कॉलेज संचालित किए जा रहे हैं। किसी भी कॉलेज में एक भी स्थायी प्राचार्य नहीं है। केवल 55 शिक्षक इन 51 कॉलेजों को चला रहे हैं। ऐसे में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने का दावा इन आंकड़ों से झूठा साबित हो रहा है।

18 शिक्षकों के भरोसे शिक्षण कार्य

राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थिति और भी चिंताजनक है। यहां शिक्षकों के 50 पदों में से 31 खाली हैं। यानी 18 शिक्षक पूरे विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध 300 से अधिक कॉलेजों का सारा शैक्षणिक कार्य देख रहे हैं। 2017 के बाद एक भी नई नियुक्ति नहीं हुई और जून 2018 के बाद से कोई प्रोफेसर विश्वविद्यालय में नहीं बचा है। यही नहीं, मार्च 2022 से परीक्षा नियंत्रक का पद भी खाली पड़ा है, जिससे सहायक प्रोफेसरों को पढ़ाई के साथ-साथ प्रशासनिक जिम्मेदारियां भी निभानी पड़ रही हैं। शोध केंद्र में भी 2011 से स्थायी निदेशक की नियुक्ति नहीं हुई है, जिससे शोध कार्य ठप पड़ता जा रहा है।
कैसे होगा देव भाषा का विकास, पत्रिका फोटो

भर्ती को मंजूरी, प्रक्रिया अटकी

सरकार ने अक्टूबर 2024 में 9 शिक्षकों और 7 कर्मचारियों की भर्ती को मंजूरी दी थी और 30 अप्रेल 2025 को सिंडीकेट की बैठक में भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए समिति का गठन किया। लेकिन समिति के गठन में भी विवाद उत्पन्न हो गया। समिति सदस्य के रूप में संस्कृत शिक्षा मंत्री के विशेषाधिकारी अभय सिंह राठौड़ का नाम आया। इस पर कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने आपत्ति दर्ज की।
शिक्षकों की कमी से जूझ रहा संस्कृत महाविद्यालय पत्रिका फोटो

एक कॉलेज के पास नैक मान्यता

प्रदेश के संस्कृत कॉलेजों में नैक की मान्यता नहीं है। हाल ही संस्कृत कॉलेजों को लेकर विधानसभा में लगे एक सवाल के जवाब में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। राज्य में 51 संस्कृत कॉलेज हैं। इनमें से सिर्फ महाराजा आचार्य संस्कृत महाविद्यालय जयपुर के पास नैक की मान्यता है। संस्कृत यूनिवर्सिटी सहित 50 कॉलेजों के पास नैक ग्रेड नहीं है।

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