बता दें कि करीब 10 दिन और 2700 किलोमीटर लंबी इस चुनौतीपूर्ण यात्रा में इन युवाओं ने खतरनाक पहाड़ी रास्तों, बर्फीले दर्रों और ऑक्सीजन की कमी के बीच प्रकृति संरक्षण का यह सशक्त संदेश दिया। 9 जून को तीनों मेनार से रवाना हुए। दल गुरुवार को इस प्वाइंट पर पहुंचे, इससे पूर्व ये 4 से 5 जोखिम भरे प्वाइंट को पार कर दुनिया के सबसे ऊंचे मोटरेबल पास उमलिंग ला (19024 फीट) तक पहुंच कर अपने क्षेत्र की आवाज बुलंद की।
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खारदुंग ला से भी गूंजा संदेश
मुख्य प्वाइंट उमलिंग ला से पूर्व खारदुंगला (18380 फिट) गेटवे ऑफ सियाचिन से भी युवाओं ने ‘वेटलैंड बचाओ’ का आह्वान किया। गौरतलब है कि वहां का तापमान माइनस 30 डिग्री तक गिरने वाला और वर्षभर बर्फबारी वाला इलाका होने के बावजूद इन युवाओं की हिम्मत और उद्देश्य अडिग रहे।
पावर ग्रिड निर्माण पर ग्रामीणों का विरोध जारी
दूसरी ओर, मेनार-खेरोदा रामसर वेटलैंड साइट की जमीन पर प्रस्तावित पावर ग्रिड परियोजना को लेकर स्थानीय ग्रामीणों का विरोध लगातार तेज हो रहा है। खेरोदा में सरपंच प्रतिनिधि रवि गर्ग और पूर्व सरपंचों समेत सर्वसमाज के प्रतिनिधियों ने मिलकर ग्रामीणों और महिलाओं ने ट्रैक्टर से कलक्टर मुख्यालय पर उग्र प्रदर्शन किया था।
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इस विवाद ने तब तूल पकड़ा, जब पटवारी की ओर से गलत सर्वे रिपोर्ट देने का आरोप सामने आया। पटवारी के खिलाफ जांच के लिए शिकायत जिला कलेक्टर को की गई। इसके कुछ दिन बाद पटवारी ने सरपंच प्रतिनिधि के खिलाफ मारपीट की शिकायत भी हुई थी। ग्रामीणों की स्पष्ट मांग है कि रामसर साइट जैव विविधता से भरपूर भूमि को हर हाल में संरक्षित रखा जाएं। रामसर साइट पर पावर ग्रिड नहीं लगाने देंगे। साथ ही लिखित आश्वासन तक विरोध जारी रहेगा।