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उदयपुर शहर की तंग गलियों से सुप्रीम कोर्ट पहुंची साधारण दर्जी की कहानी… क्या अब पूरी होगी बेटे की प्रतिज्ञा…

The Kanhaiya lal Real Story: उदयपुर के दर्जी कन्हैयालाल की कहानी अब सुप्रीम कोर्ट में। बेटा बोले- दोषियों को फांसी तक नहीं पहनूंगा चप्पल।

उदयपुरJul 16, 2025 / 08:20 am

JAYANT SHARMA

कन्हैया लाल का परिवार, बंद दुकान और मोक्ष के इंतजार में अस्थियां…

Udaipur Files Hearing In Supreme Court: राजस्थान के उदयपुर में 28 जून 2022 को घटा कन्हैयालाल हत्याकांड पूरे देश को झकझोर देने वाली घटना थी। अब उसी दर्दनाक हादसे पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ एक बार फिर सुर्खियों में है। फिल्म को लेकर शुरू हुआ कानूनी विवाद अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर पहुंच गया है, जहां आज 16 जुलाई 2025 को सुनवाई तय की गई है।
यह फिल्म पहले 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होनी थी और इसे सेंसर बोर्ड की मंजूरी भी मिल चुकी थी। लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिका के चलते रिलीज पर रोक लग गई। याचिका हत्या के आरोपी मोहम्मद जावेद की ओर से दाखिल की गई थी। उनका कहना है कि जब तक कोर्ट में ट्रायल चल रहा है, तब तक इस फिल्म की स्क्रीनिंग निष्पक्ष सुनवाई को प्रभावित कर सकती है।
family pic
इस पर अब निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है, और कोर्ट ने आज की तारीख को सुनवाई के लिए निर्धारित किया है। आरोपी पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने भी कोर्ट से आग्रह किया है कि उनकी याचिका को भी निर्माता पक्ष की अपील के साथ सुना जाए।


कौन थे कन्हैयालाल, और क्यों हुई थी निर्मम हत्या?

कन्हैयालाल तेली, उदयपुर में दर्जी का काम करते थे। 28 जून 2022 को दो मुस्लिम युवकों ने उनका सिर कलम कर दिया था और वीडियो वायरल कर दिया था। घटना के बाद पूरे देश में गुस्सा फूट पड़ा था। एनआईए जांच के बाद आरोपी पकड़े गए, लेकिन अब तक ट्रायल और सजा की प्रक्रिया जारी है।
kanhaiya lal Son


बेटे की प्रतिज्ञा और पत्नी की अपील

कन्हैयालाल के छोटे बेटे ने मीडिया से कहा है कि “जब तक मेरे पिता के हत्यारों को फांसी नहीं मिलती, मैं जूते-चप्पल नहीं पहनूंगा, ना मैं बाल कटवाउंगा और ना ही पिता की अस्थियों का विसर्जन करूंगा। वहीं, पत्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फिल्म को रिलीज कराने की अपील की है। उनका कहना है कि देश को सच जानने का हक है।


आज की सुनवाई बेहद अहम

आज की सुनवाई बेहद अहम मानी जा रही है। यह सिर्फ एक फिल्म की रिलीज का मामला नहीं है, बल्कि यह न्याय प्रक्रिया, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संवेदनशील मामलों पर कला की भूमिका से जुड़ा मुद्दा है। देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला सुनाता है। अगर सुप्रीम कोर्ट फिल्म को हरी झंडी देता है तो यह ना सिर्फ फिल्म निर्माता के लिए राहत होगी, बल्कि कन्हैयालाल के परिजनों के लिए भी एक नैतिक न्याय की अनुभूति बन सकती है।

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