बता दें कि इस परीक्षा में 20.08 लाख स्टूडेंट्स बैठे थे। इस बार मेडिकल प्रवेश परीक्षा 4 मई को आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के लिए जिले के चार सेंटरों पर 1820 स्टूडेंट्स को पंजीकृत किया गया। इनमें से 1775 ने ही परीक्षा दी थी। इस बार परीक्षा में 500 या उससे अधिक अंक वालों को ही सरकारी मेडिकल कॉलेज मिलने की संभावना है।
सलोनी ने क्या बताया
‘मैं अपनी सफलता का श्रेय संस्थान टीम व अपने माता-पिता को देना चाहती हूं। ऑनलाइन टेस्ट व डाउट सेशन से उसे सफलता मिली। अंतिम समय में हमने लगातार फुल टेस्ट दिये, जिससे कि फाइनल पेपर में हमें टाइम मैनेज करना और पेपर करने के सीक्वेंस को डिसाइड करने में बहुत मदद मिली। सफलता के लिए सबसे जरूरी है टेस्ट के डाउट्स का डिस्कशन। मैं जूनियर्स को कहना चाहूंगी कि जो भी होमवर्क क्लास में दिया जाता है, उसे नियमित तौर पर पूरा करो। यदि पढ़ाई से बोर हो जाओ तो ब्रेक ले सकते हैं परन्तु यह बहुत लम्बा नहीं होना चाहिए’।
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किरण चौधरी ने क्या बताया
‘मैं अपने जूनियर्स को यही कहूंगी कि शुरू से तीनों सबजेक्ट को बैलेंस करके चलो। टॉपिक्स को समझ कर याद करते रहो। शुरू में ऐसा लगता है कि जो पढ़ रहे हैं, वो याद नहीं रह रहा, पर बार-बार रिवीजन करने से धीरे-धीरे सब याद हो जाएगा। मेरे परसेंटाइल का श्रेय मैं मेरी मेहनत, संस्थान टीम और मेरे माता-पिता को देना चाहती हूं। मैं अपने जूनियर्स को यही कहना चाहती हूं कि बस पढ़ाई करो मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। सफलता में कक्षा के सहपाठियों का भी बड़ा योगदान रहता है। अगर लगातार ग्रुप डिस्कशन किया जाए तो लाभ मिलता है’।
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योगिता गोयल ने क्या कहा
‘मैं अपनी सफलता के लिये अपने माता-पिता व संस्थान की टीम को धन्यवाद करना चाहती हूं। मैं अपने जूनियर्स को यही कहना चाहती हूं कि हर चैप्टर की थ्योरी शुरू से ही अच्छे से याद करो, जिस पर प्रश्न पर डाउट हो उसे अगले दिन टीचर से समझ लें। ये डाउट ही आपके टॉपिक को नॉर्मल से एक्सीलैंट बनाते हैं। जूनियर्स को मैं यही कहना चाहूंगी कि रिवीजन अच्छे से करें और थ्योरी को अच्छे से याद करें। हर टॉपिक की अच्छे से क्वेश्चन प्रैक्टिस जरूरी है’।