हाल यह है कि जिलेभर में योजना के तहत पात्र कार्डधारक मरीज दवा के लिए भटक रहे हैं, लेकिन अधिकृत मेडिकल स्टोर और सहकारी भंडार उन्हें इलाज की जगह बहाने परोस रहे हैं। जबकि आरजीएचएस में तय प्रावधान के अनुसार मरीजों को एक माह की दवा एक बार में मिलनी चाहिए, लेकिन अधिकांश मरीजों को हार्ट, बीपी सरीखी बीमारियों की महज सात दिन या पंद्रह दिन की दवा देकर टरकाया जा रहा है। मजबूरी में जिले के पेंशनर्स व कार्डधारकों को नकदी देकर दवाओं की खरीद करनी पड़ रही है। मेडिकल स्टोर संचालकों की माने तो योजना में जिले में रोजाना औसतन 1200 से ज्यादा मरीज दवा लेते हैं। इनमें करीब 60 प्रतिशत मरीजों को एक माह की बजाए केवल सात दिन की दवा दी जाती है। रोजाना करीब तीन सौ से ज्यादा मरीजों को चिकित्सक की पर्ची में लिखी सभी दवाएं एक माह के लिए नहीं मिल पा रही है।
60 करोड़ से ज्यादा का भुगतान लटका
जिले में इस साल फरवरी माह से 60 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि आरजीएचएस के तहत बकाया पड़ी है। नतीजतन अधिकतर अधिकृत मेडिकल स्टोरों और निजी अस्पतालों ने दवाएं देना या उपचार करना लगभग बंद कर दिया है। जबकि योजना में सरकारी कर्मचारियों के वेतन से हर माह तय राशि की कटौती होती है। इस कटौती की राशि को योजना के तहत खर्च किया जाता है। पेंशनर्स ने बताया कि सरकारी नौकरी लगने के बाद से कर्मचारी के वेतन से हर माह कटौती की जाती है लेकिन जब सेवानिवृ़त्ति के बाद अक्सर लोग कई बार हार्ट, बीपी, स्लिप डिस्क सरीखी कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में उन्हें जब दवा के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है तो वो सरकार की इस दोहरी नीति को लेकर आक्रोश जताते हैं।
सहकारी भंडार के भी करोड़ों बकाया
पेंशनर्स और आरजीएचएस कार्ड धारकों को निशुल्क उपलबध करवाने के लिए हर जिले में सहकारी उपभोक्ता भंडार खुले हुए हैं। इन भंडारों की भी करोड़ों रुपए की राशि कई माह से बकाया चल रही है। अकेले सीकर जिले में होलसेल सहकारी उपभोक्ता भंडार के करीब तीन करोड़ बीस लाख रुपए बकाया े हैं। इससे दवा के कई थोक विक्रेताओं ने सहकारी भंडार की दवा सप्लाई ही रोक दी। भंडार में पूर्व में कोष कार्यालय के जरिए होने वाले भुगतान के 45 लाख, कॉन्फेड के माध्यम से आरजीएचएस के 43 लाख रुपए, अक्टूबर 2021 के 25 लाख, आरजीएचएस में 207 लाख रुपए का भुगतान बकाया है। इसका असर दवा की सप्लाई पर पड़ रहा है।
अवगत करवाया है
भंडार की बकाया राशि होने से कई थोक विक्रेताओं ने दवा की सप्लाई देने से मना कर दिया है। जिसके कारण मरीजों को दी जाने वाली दवा की बिक्री प्रभावित हो रही है। बकाया के भुगतान को लेकर उच्चाधिकारियों को कई बार अवगत कराया जा चुका है। प्रभुदयाल, महाप्रबंधक, होलसेल सहकारी उपभोक्ता भंडार सीकर