हर सेकंड 5 परमाणु बम जितनी गर्मी महासागरों में
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के प्रोफेसर एलेक्स सेन गुप्ता ने बताया: समुद्री तापमान रिकॉर्ड स्तर पर, 84% प्रवाल भित्तियों पर असर
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि: - समुद्री सतह का तापमान अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है।
- समुद्री बर्फ की मात्रा ऐतिहासिक रूप से सबसे कम हो गई है।
- अब तक का सबसे बड़ा कोरल ब्लीचिंग (प्रवाल भित्तियों का सफेद पड़ जाना) हो रहा है, जिससे 84% समुद्री प्रवाल क्षेत्र प्रभावित हैं।
ब्रिटेन की डॉ. कैथरीन स्मिथ ने कहा कि समुद्री गर्मी की लहरों के कारण:
- मछलियों की संख्या घट रही है,
- समुद्री जीवन की मौतें हो रही हैं,
- और ये लहरें तूफानों को भी तेज कर रही हैं, जिससे अरबों डॉलर का नुकसान और हजारों मौतें हो रही हैं।
महासागर बचाने की पुकार
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने सम्मेलन में कहा:
ब्रिटेन, जो पहले संकोच कर रहा था, अब कह रहा है कि वह इस साल के अंत तक महासागरों की रक्षा के लिए आवश्यक कानून लाएगा। ब्रिटेन की समुद्री मंत्री एम्मा हार्डी ने कहा:
हाई सीज़ संधि और भविष्य की राह
इस सम्मेलन का उद्देश्य है:
- महासागर संरक्षण को लेकर वैश्विक संधि (High Seas Treaty) को लागू करना,
- प्रदूषण, अत्यधिक मछली पकड़ना, गहराई में खनन और जैव विविधता पर ठोस कदम लेना।
अब तक
49 देशों ने इस संधि की पुष्टि कर दी है, जबकि इसे लागू करने के लिए कुल 60 देशों की ज़रूरत है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उम्मीद जताई कि
यह संधि जनवरी 2026 तक लागू हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि
गहरे समुद्र में खनन पर रोक लगनी चाहिए, क्योंकि “महासागर बिकाऊ नहीं हैं”।
निष्कर्ष: जलवायु परिवर्तन की तेज़ मार
विज्ञानियों और विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर समुद्री समस्याएं इंसानी गतिविधियों से पैदा हुई जलवायु परिवर्तन का नतीजा हैं। अगर उत्सर्जन नहीं रोका गया और जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में हालात और बदतर होंगे।