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नया ट्रेंड: कोरोना के बाद खुद को फिट रहने के लिए बढा स्मार्ट गैजेट्स का उपयोग

केस एक: देवीपुरा कोठी िस्थत इंदिरा कॉलोनी निवासी 35 साल के प्रदीप कुमार नियमित रूप से घूमने के जाते हैं। बकौल प्रदीप पहले वॉक के बाद अंदाजा नहीं लगता था कि कितना फायदा हुआ। अब स्मार्ट वॉच दिखा देती है कि कितने कदम चले, कितनी कैलोरी बर्न हुई। केस दो: कलक्टर आवास के सामने रहने […]

सीकरJul 09, 2025 / 11:17 am

Puran

केस एक: देवीपुरा कोठी िस्थत इंदिरा कॉलोनी निवासी 35 साल के प्रदीप कुमार नियमित रूप से घूमने के जाते हैं। बकौल प्रदीप पहले वॉक के बाद अंदाजा नहीं लगता था कि कितना फायदा हुआ। अब स्मार्ट वॉच दिखा देती है कि कितने कदम चले, कितनी कैलोरी बर्न हुई।
केस दो: कलक्टर आवास के सामने रहने वाले 56 वर्ष के मामराज स्वामी ने बताया कि वर्ष 2021 में कोरोना से संक्रमित होने के बाद नियमित रूप से स्मार्ट गैजेट का उपयोग करना जीवनशैली का अंग बन गया है। गैजेट की रिकार्डिंग के आधार पर चेस्ट फिजिशियन को हर सप्ताह अपडेट कर रहा हूं। जिससे मुझे काफी फायदा होता है।
ये केवल दो उदाहरण नहीं है। कोरोना संक्रमण काल के बाद मौजूदा दौर में खुद को फिट रखने की चाहत और सेहत के प्रति जागरूकता केवल जिम और योग तक सीमित नहीं रही। सेहत के प्रति सजग लोग अब स्मार्ट घड़ियों, फिटनेस बैंड्स और मोबाइल ऐप्स की मदद से बीपी, हार्टबीट, कैलोरी बर्न और डेली स्टेप्स जैसे संकेतकों की निगरानी कर रहे हैं। खास बात यह है कि महज पांच साल में बढ़ा यह नया ट्रेंड सिर्फ युवाओं में ही नहीं, बल्कि 45 से ज्यादा आयु वाले लोगों में तेजी से लोकप्रिय हुआ है। कई लोग तो सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी डेली एक्सरसाइज की एक्टिविटी शेयर करते हैं। अस्पतालों में लक्षण के आधार पर ही लोग स्वास्थ्य जांच करवा रहे हैं। पार्कों में सुबह-शाम वॉक पर जाने वाले हर दस में से एक व्यक्ति अपने स्टेप्स और कैलोरी बर्न ट्रैक करने के लिए स्मार्ट वॉच या बैंड का इस्तेमाल कर रहा है।
सेहत की रोजाना मॉनिटरिंग

ये स्मार्टवॉच, फिटनेस बैंड और हेल्थ एप्स सेहत का डेटा दे रहे हैं, वहीं नियमित वॉक, रन और एक्सरसाइज की आदत भी डाल रहे हैं। इतना ही नहीं ये ऐप्स और गैजेट्स उन्हें हर दिन स्टेप्स, कैलोरी बर्न, हार्ट रेट और एक्टिव टाइम जैसी जानकारियां भी देते हैं। इससे उन्हें खुद की सेहत का ट्रैक रिकॉर्ड रखने में आसानी हो रही है। चिकित्सकों के अनुसार बीपी और हार्ट मॉनिटरिंग जैसे स्मार्ट गैजेट को नियमित रूप से काम में लेना ह्दय, बीपी जैसी गंभीर बीमारियों को शुरूआती चरण में पकड़ने में कारगार साबित हो रहा है। कई बार तो अस्पतालों में मरीज भी चिकित्सक को लक्षणों के आधार पर जांच करवाते हैं।
फैक्ट फाइल

आयु वर्ग— गैजेट काम में लेने वालों की संख्या % में —- बढ़ोतरी % में

18-30 —– 54 —- 21

31-45 —-41—-19

46-60 —- 28—–23

60 से ज्यादा—– 17— 30
( इलेक्ट्रॉनिक दुकानों से लिए गए आंकड़े औसतन) 

आंकड़े के साथ लक्षण भी पहचाने

कोरोना के बाद लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ी है। आने वाले समय में यह डिजीटल ट्रेकिंग अहम हो जाएगी। रोजाना डिजीटल ट्रेकिंग से हाई बीपी सरीखी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का पहले से पता लगने लगता है। हालांकि ये गैजेट्स केवल बीमारी के बारे में सजग रहने का संकेतक ही हैं। सही िस्थति चिकित्सक से जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाती है।
डॉ. जय पुरोहित, कार्डियोलॉजिस्ट, कल्याण अस्पताल

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