रायपुर के भवर अग्रवाल बने मिसाल, रोजाना 70 से अधिक गायों और बेजुबान जानवरों को खिलाते हैं ब्रेड-रोटी…
CG News: रायपुर के गुढ़ियारी निवासी भवर अग्रवाल रोजाना 70 से अधिक गायों और बेजुबान जानवरों को ब्रेड और रोटी खिलाते हैं। यह कार्य न केवल सेवा भाव का अद्भुत उदाहरण है
रायपुर के भवर अग्रवाल बने मिसाल, रोजाना 70 से अधिक गायों और बेजुबान जानवरों को खिलाते हैं ब्रेड-रोटी…(photo-patrika)
CG News: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के गुढ़ियारी निवासी भवर अग्रवाल रोजाना 70 से अधिक गायों और बेजुबान जानवरों को ब्रेड और रोटी खिलाते हैं। यह कार्य न केवल सेवा भाव का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि समाज को एक नई दिशा देने वाला प्रेरणादायी कदम भी है।
भारतीय संस्कृति में गौ माता को पूजनीय माना गया है। दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। प्राचीन काल से ही गाय को माता के समान सम्मान दिया जाता रहा है। ऐसे में भवर अग्रवाल का यह कार्य केवल दान या धर्म नहीं, बल्कि एक सामाजिक कर्तव्य के रूप में देखा जाना चाहिए।
CG News: हर दिन खिलाते हैं ब्रेड-रोटी
आज के दौर में href="https://www.patrika.com/rajnandgaon-news/4-cows-died-due-to-lack-of-fodder-and-water-19891951" target="_blank" rel="noopener">पशुओं के रहने का आशियाना ही छिना ज रहा है, उन्हें मारा जा रहा है, जो की बेहद दुःख की बात है। आज के युग में जानवरों की सेवा तो दूर लोग उनकी इज्जत तक नहीं करते है। लेकिन गुढ़ियारी के यह व्यक्ति (भवर अग्रवाल) रोजाना 70 से अधिक गायों और बेजुबान जानवरों को ब्रेड और रोटी खिला कर और अपने सेवा भाव से जानवरों की सेवा कर के लोगो को नहीं सिख दे रहे है की ” href="https://www.patrika.com/bilaspur-news/dj-ban-there-will-be-a-ban-on-playing-dj-after-10-pm-in-bilaspur-19894136" target="_blank" rel="noopener">गाय की सेवा धर्म नहीं कर्त्तव्य है” उनका कहना है की “बेजुबान की सेवा ही दुनिया की सबसे बड़ी सेवा है”।
गाय की सेवा धर्म नहीं, कर्त्तव्य है
आज के समय में जब जानवरों का आशियाना छिनता जा रहा है और उन्हें मारा जा रहा है, उस दौर में भवर अग्रवाल का यह प्रयास और भी मूल्यवान हो जाता है। उनका कहना है कि – “गाय की सेवा धर्म नहीं, कर्त्तव्य है। बेजुबान की सेवा ही दुनिया की सबसे बड़ी सेवा है।”
उनकी यह सोच और सेवा भावना उन लोगों को भी प्रेरित करती है, जो पशु प्रेम से अब तक अनजान या उदासीन रहे हैं। निस्संदेह, पशु प्रेम जीवन के समन्वय का आधार है और यही मानवता का असली स्वरूप है।
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