केस दो: दातारामगढ़ निवासी रेवेन्यू विभाग से सेवानिवृत रामकिशोर ने बताया कि उनकी बुजुर्ग मां को देखने के लिए पहले हर हफ्ते चिकित्सक चेक करते थे लेकिन अब बोल रहे हैं कि नियम बदल गया है इसलिए मरीज को ही अस्पताल लाना पड़ेगा।
प्रदेश सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए उपचार में राहत की योजना कही जाने वाली आरजीएचएस ( राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम) अब मरीजों के लिए परेशानी का कारण बनती दिख रही है। वजह योजना में घर पर इलाज देने वाले चिकित्सकों के लिए कई बदलाव करना है। इससे मरीजों को अब घर बैठे इलाज की सुविधा पहले जैसी नहीं मिलेगी। सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्ग, दिव्यांग और गंभीर मरीजों को घर पर इलाज की सुविधा लेने के लिए भटकना पड़ेगा। मरीज या परिजनों को ऐसे चिकित्सक को ढूंढना होगा जिसके पास एसएसओआईडी और एनपीए नहीं लेने का सूचना विभाग को दे रखी हो। ऐसा नहीं करने पर सीधे-सीधे क्लेम पर असर पड़ेगा। इसके कारण पात्रता के बावजूद कार्ड धारक से योजना के तहत केशलेस उपचार मिल पाना मुश्किल हो जाएगा। योजना से जुड़े लोगों का कहना है कि इस प्रकार की समस्या से रोजाना कई मरीज व परेशान हो रहे हैं। गौरतलब है कि सीकर में राज्य सरकार के पचास हजार से ज्यादा सेवारत कर्मचारी और करीब 20 हजार पेंशनर्स है।
ये किए हैं बदलाव
योजना के बदलाव के अनुसार घर पर सेवाएं देने वाले चिकित्सकों को एसएसओआईडी अनिवार्य रूप से देनी होगी और साथ ही उन्हें नॉन प्रैक्टिस एलाउंस (एनपीए) छोड़ने की सूचना विभाग को देनी होगी। मरीज के उपचार संबंधी डेटा खुद की आई डी से सब्मिट करने होंगे। वहीं चिकित्सकों ने एनपीए छोड़ने से वेतन और बदलाव से प्रैक्टिस प्रभावित होने की आशंका जताई है।
फैक्ट फाइल
प्रदेश में आरजीएचएस कार्डधारक : 13.5 लाख जिले में आरजीएचएस कार्डधारक- करीब ५०००० घर पर इलाज लेने वाले मरीज: 2.2 लाख से ज्यादा प्रदेश में प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले चिकित्सक- करीब 18,000 जिले में प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले चिकित्सक- 400 प्रदेश में पैनल चिकित्सक: करीब 1,500
जिले में पैनल चिकित्सक- करीब 400