Rajasthan: राजस्थान के 11 गांवों में अच्छी पहल, शराब पीना ही नहीं बेचना भी गुनाह, लगता है इतना तगड़ा जुर्माना
समाज के पंच-पटेलों ने माना कि नशे से समाज में अपराध व सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। परिवार बिखर रहे हैं व बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।
गिरीश शर्मा राजस्थान के सिरोही जिले के आबूरोड ब्लॉक में जनजाति गरासिया समाज में नशे के विरोध में आई जागरुकता प्रेरित करने वाली है। सरकार भले ही राजस्व का जरिया मानकर शराबबंदी नहीं कर रही, लेकिन गरासिया समाज अब नशे पर अंकुश के मामले में सरकार से आगे दिख रहा है।
समाज ने कड़ा फैसला लेकर करीब 11 गांवों में शराब बेचने पर ही नहीं पीने को भी गुनाह मानकर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। दंड भी ऐसा तय किया है कि समाज का कोई भी सदस्य इसका उल्लंघन नहीं कर सकता।
बैठकों से बदलाव
गरासिया समाज विकास सेवा समिति की नियमित बैठकों से नशे को लेकर समाज के पंच-पटेलों का नजरिया बदला। अब वे समाज के लोगों को नशे से दूर रहने व शिक्षा के लिए प्रेरित कर सख्त निर्णय ले रहे हैं। समिति से वकील, सरपंच, उच्च शिक्षित युवा व समाजसेवी जुड़े हैं।
इन गांवों में प्रतिबंध
बहादुरपुरा, मुदरला, उपलाखेजड़ा, निचलाखेजड़ा, पाबा, रणोरा, दानबोर, भमरिया, बूजा, उपलागढ़, चंडेला में शराब बेचने व सेवन करने प्रतिबंध लगा रखा है। खास बात यह कि इन गांवों में शराब की दुकान तक नहीं है। बहादुरपुरा गांव में तो नशे में तैर (चिल्लाना) करने पर भी आर्थिक दंड वसूला जाता है।
इसलिए लगाई रोक
समाज के पंच-पटेलों ने माना कि नशे से समाज में अपराध व सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। परिवार बिखर रहे हैं व बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। इसे लेकर समाज को सख्ती दिखानी पड़ी।
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25 हजार दंड, सुधार का मौका
समाज ने शराब बेचने वाले पर 25 हजार रुपए दंड निश्चित किया है। उसे एक-दो बार सुधार का अवसर दिया जाता है। शराब पीकर चिल्लाने पर भी दंड वसूला जाता है। नहीं मानने पर समाज उससे संपर्क नहीं रखता, ताकि उसे अपनी गलती का एहसास हो सके।
आबूरोड ब्लॉक में करीब 11 जनजाति बहुल गांवों में शराब की ब्रिकी व पीने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। इसका उल्लंघन करने पर आर्थिक दंड का प्रावधान किया है। अन्य कुरीतियों पर रोक लगाई है। समाजहित में निर्णय लिए हैं।
नरसाराम, जिलाध्यक्ष, गरासिया समाज विकास सेवा समिति सिरोही
सभी आदिवासी गांवों में शराबबंदी हो जाए तो युवाओं का भविष्य उज्ज्वल होगा। अन्यथा नाबालिग बच्चे भी नशे की गिरफ्त में फंस सकते हैं।
देवाराम गरासिया, सदस्य, पंचायत समिति, आबूरोड
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